Saturday, 5 October 2013

आखिर रंग ही डाला पक्के वाले रंग में .....

रंगरेज  को जब मैंने देखा
रंगते हुए दुपट्टा
तो सोचा
कितनी मुश्किल है रंग का चढ़ना
वह भी
पक्का वाला रंग ....

श्वेत आत्मा सा श्वेत  दुपट्टा
और
उस पर पक्का रंग  ....

रंगरेज ने भी तो
दुपट्टा
उबलते रंग में डाला
फिर रंग डाला
घूमा  -घूमा  कर
उठा -पटक कर
गर्म से ठन्डे पानी से गुजारता
आखिर रंग ही डाला
पक्के वाले रंग में  .....

ऐसे ही पक्के वाले रंग में
मेरा मन भी तूने
रंग डाला होगा एक दिन ,
ना जाने
कितने उबलते - ठन्डे
अहसासों से गुजरना पड़ा होगा
मेरी श्वेत आत्मा को
और रंग गयी
ना छूटने वाले पक्के रंग में .....

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. नवरात्रि की शुभकामनायें-
    सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीया

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  4. प्रभावी !!!
    नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  5. बहुत खुबसूरत अहसास

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  6. बहुत प्रभावी सुंदर प्रस्तुति.!
    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  7. बहुत सुन्दर रचना ... जय माता की

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  8. बहुत सुन्दर......
    ऐसे रंग अंतर्मन तक रंग जाते हैं....

    अनु

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  9. सुन्दर मनोहर

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