Monday, 30 September 2013

तुम्हारे साथ की नहीं छोड़ी चाह मैंने कभी ...

जिस दिन से तुमने
राह बदल दी
उस दिन से मैंने
मंजिल की
 चाह  छोड़ दी ...

चाह छोड़ी है बस
मंजिल की ही
तुम्हारे साथ की नहीं छोड़ी
चाह  मैंने कभी ...

बैठी हूँ
 एक  चाह लिए
तुम्हारे गुनगुनाने की
और
मेरे मुस्कुराने की ...

जिस दिन से तुमने
 गुनगुनाना
  छोड़ दिया
उस दिन से मैंने
 मुस्कुराना
 छोड़ दिया  ....

दीवारों को निहारती हूँ
एक चाह लिए
तुम्हारे अक्स के उभर
आने की ..

जिस दिन से
 तुमने मुहँ  फेर लिया
मैंने आईना
देखना छोड़ दिया  ...



17 comments:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    शुभकामनायें आदरेया-

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर
    कोमल भाव लिए रचना...
    :-)

    ReplyDelete
  3. बहुत कोमल भावनाओं कि सुन्दर अभिव्यक्ति !
    नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........

    जिस दिन से तुमने
    राह बदल दी
    उस दिन से मैंने
    मंजिल की
    चाह छोड़ दी ...

    बुधवार 02/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. सुंदर भाव, शुभकामनाये

    ReplyDelete
  6. स्थान, स्थिति और समय को कब इतनी शक्ति मिली है की सच्चे जुड़ाव को कमजोर कर दे . सुन्दर रचना.

    ReplyDelete
  7. दिल को छू लेने वाली रचना उपासना सखी

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को

    ReplyDelete
  10. भाव पूर्ण सुन्दर ....

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर भाव के साथ अच्छी रचना उपासना जी, हार्दिक बधाई..

    ReplyDelete
  12. सुन्दर प्रस्तुति ..जज्बातों से लबरेज ... बधाई एवं शुभकामनाये :)

    ReplyDelete
  13. अच्छी है लेकिन आपकी अन्य रचनाओं की तुलना में थोडा क्षीण प्रभाव छोडती है, शब्दों का दुहराव खटकता है। क्षमाप्रार्थी हूँ लेकिन मन ने नहीं माना, सो बता दिया।

    ReplyDelete
  14. अच्छी है लेकिन आपकी अन्य रचनाओं की तुलना में थोडा क्षीण प्रभाव छोडती है, शब्दों का दुहराव खटकता है। क्षमाप्रार्थी हूँ लेकिन मन ने नहीं माना, सो बता दिया।

    ReplyDelete
  15. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति उपासना जी |

    ReplyDelete