' है 'और 'था'
ये दो शब्द ,
मात्र ये दो शब्द ही नहीं है
इन्सान के जीवन में ,
बहुत फर्क है
इन दो शब्दों में ,
कोई अभी -अभी था
और
कोई अभी -अभी नहीं है …
इन्सान के जीवन
के सिर्फ दो सोपान ही हैं
बस
एक उसका होना
और
एक उसका नहीं होना .........
अपने होने के सोपान पर
खड़ा
वह जानता -सोचता है
अपने ना होने सोपान को ,
मालूम है
एक दिन उसे , उसी सोपान
पर जाना है
जब वह जाना जायेगा
एक दिन वह था .....
अपने होने से
ना होने तक के सफ़र में
जाने कितने धुँधले राह
गुजरता है
मंजिल का पता है फिर भी
उलझा रहता है
अपने होने और ना होने में
ये दो शब्द ,
मात्र ये दो शब्द ही नहीं है
इन्सान के जीवन में ,
बहुत फर्क है
इन दो शब्दों में ,
कोई अभी -अभी था
और
कोई अभी -अभी नहीं है …
इन्सान के जीवन
के सिर्फ दो सोपान ही हैं
बस
एक उसका होना
और
एक उसका नहीं होना .........
अपने होने के सोपान पर
खड़ा
वह जानता -सोचता है
अपने ना होने सोपान को ,
मालूम है
एक दिन उसे , उसी सोपान
पर जाना है
जब वह जाना जायेगा
एक दिन वह था .....
अपने होने से
ना होने तक के सफ़र में
जाने कितने धुँधले राह
गुजरता है
मंजिल का पता है फिर भी
उलझा रहता है
अपने होने और ना होने में
Bahut hi sundar rachna,hardik abhar.
ReplyDeleteआपने सही कहा,,,जीवन और म्रत्यु,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समझ में आया बापू .
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [09.09.2013]
ReplyDeleteचर्चामंच 1363 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
यही है जीवन-दर्शन !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई आप को
ReplyDeleteबहुत उम्दा .... जीवन से जुड़ा सुंदर सम्प्रेषण
ReplyDeleteबहुत सुंदर जीवन दर्शन.........
ReplyDeleteसाभार......