Saturday, 7 September 2013

इन्सान के जीवन के सिर्फ दो सोपान ही हैं....

' है 'और 'था'
 ये दो शब्द ,
 मात्र  ये दो शब्द ही नहीं है
इन्सान के जीवन में ,

बहुत फर्क है
इन दो शब्दों में ,
कोई अभी -अभी था
और
कोई अभी -अभी नहीं है  …

इन्सान के जीवन
के सिर्फ दो सोपान ही हैं
बस
एक उसका होना
और
एक उसका नहीं होना   .........

अपने होने के  सोपान पर
 खड़ा
वह जानता -सोचता है
अपने ना होने  सोपान को ,

मालूम है
एक दिन उसे , उसी सोपान
पर जाना है
 जब वह जाना जायेगा
एक दिन वह था  .....

अपने होने से
ना होने तक के सफ़र में
जाने कितने धुँधले राह
गुजरता है
मंजिल का पता है फिर भी
उलझा रहता है
 अपने होने और ना होने  में





7 comments:

  1. Bahut hi sundar rachna,hardik abhar.

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  2. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [09.09.2013]
    चर्चामंच 1363 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..बधाई आप को

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  4. बहुत उम्दा .... जीवन से जुड़ा सुंदर सम्प्रेषण

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  5. बहुत सुंदर जीवन दर्शन.........
    साभार......

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