मैंने
अपने टूटे हुए पंख
अब भी संभाले रखे हैं ,
सर्द - शीत ,
उष्ण -नम नज़रों से बचा कर
नर्म अहसासों के बुने कोमल से लिहाफ में ....
नन्हे -नन्हे 'पर'
डगमगाते क़दमों के साथ -साथ ही
निकल आये थे
तेज़ क़दमों के साथ
नन्हे 'पर'
मजबूत पंख बन ,
ना जाने
कब हौसलों की उड़ान बने ....
वे मेरे पंख
हौसलों की उड़ान तो बने .....
आसमान ही सिमित मिला लेकिन ,
कितने पंख फैलाती ,
अटक जाते पंख कहीं ना कहीं ,
उलझ जाने का भय
हिम्मत ही ना हुई पंख फैला कर उड़ने की ….
एक दिन खिड़की से झांक कर देखा
टूटे पड़े थे पंख मेरे
लहुलुहान से थे
मगर
बेजान नहीं थे अब भी .....
उड़ने का हौसला तो अब भी था
बस हिम्मत नहीं थी या
विस्तृत आसमान ही नहीं मिला .....
वो पंख
अब भी संभाले रखे हैं मैंने
हौसलों के साथ कुछ पर उगे हैं मेरे
पंखो को उनसे जोड़ कर ,
उड़ान भरने की हिम्मत आ गयी
मुझमे
एक नए विस्तृत आसमान में ....
अपने टूटे हुए पंख
अब भी संभाले रखे हैं ,
सर्द - शीत ,
उष्ण -नम नज़रों से बचा कर
नर्म अहसासों के बुने कोमल से लिहाफ में ....
नन्हे -नन्हे 'पर'
डगमगाते क़दमों के साथ -साथ ही
निकल आये थे
तेज़ क़दमों के साथ
नन्हे 'पर'
मजबूत पंख बन ,
ना जाने
कब हौसलों की उड़ान बने ....
वे मेरे पंख
हौसलों की उड़ान तो बने .....
आसमान ही सिमित मिला लेकिन ,
कितने पंख फैलाती ,
अटक जाते पंख कहीं ना कहीं ,
उलझ जाने का भय
हिम्मत ही ना हुई पंख फैला कर उड़ने की ….
एक दिन खिड़की से झांक कर देखा
टूटे पड़े थे पंख मेरे
लहुलुहान से थे
मगर
बेजान नहीं थे अब भी .....
उड़ने का हौसला तो अब भी था
बस हिम्मत नहीं थी या
विस्तृत आसमान ही नहीं मिला .....
वो पंख
अब भी संभाले रखे हैं मैंने
हौसलों के साथ कुछ पर उगे हैं मेरे
पंखो को उनसे जोड़ कर ,
उड़ान भरने की हिम्मत आ गयी
मुझमे
एक नए विस्तृत आसमान में ....
आदरणीया,
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावों को शब्दों में पिरो कर पंक्तियाँ उकेरी हैं आपने,
आपको अनेकों बधाई ।
सुंदर भावों को शब्दों में खूबसूरती से पिरोया है .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteनवरात्रि की मंगल कामनाएं-
सादर
इश्वर आपके होंसलों को नित नई परवाज़ दे ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
इस हौसले को उड़ान भरने के लिए विस्तृत आसमान मिले...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
वाह ! बहुत सुंदर भाव और पंक्तियाँ .!
ReplyDeleteनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बहुत सुन्दर रचना परवाज़ पंखों से नहीं हौसलों से ही बहरी जाती है। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति ...................आभार।
ReplyDeleteभावों से भरी सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeletelatest post: कुछ एह्सासें !
बहुत सुन्दर
ReplyDeletekhubsurat aihasaas liye behatarin rachana
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