Monday 23 December 2013

ये पर्वत मुझे ऐसे लगे ,जैसे ...


ये पर्वत,
सफ़ेद रुई जैसी बर्फ से घिरे
मुझे ऐसे लगे 

जैसे ...

बूढी नानी की गोद 
जिसमे बैठ कर ,
कहानी सुनते -सुनते सो जाएँ ...

जैसे...

माँ की गोद
जहाँ बैठ 
सारी थकान भूल जाएँ ........

जैसे...

 पिता का सा
मजबूत सहारा ,
जहाँ हर दुःख दूर हो जाये ...

जैसे ...

प्रियतम का साथ
जिसके आगोश में
 हर गम भुला दें ...

6 comments:

  1. बहुत ही सुंदर ,
    पिता का सा मजबूत सहारा, जहाँ हर दुःख दूर होजाये ... आ० धन्यवाद

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  2. बहुत उम्दा रचना |सुन्दर बिम्ब |
    आशा

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  3. खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  4. Kisi ne un parbaton ko safed jata wala sadhu bataya tha jo sansar tyag chuka hai.. Aapne to use parivar ka sadasya bana daala.. Bahut pyari kavita..

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  5. रिश्तो का बन्धन और निरूपण

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