अब अलग-अलग
है क्या
तुम्हारा और मेरा
आसमान
है क्या
तुम्हारा और मेरा
आसमान
मेरे आसमान पर
घने बादल
और
तुम्हारे आसमान पर
चाँद -तारे
घने बादल
और
तुम्हारे आसमान पर
चाँद -तारे
मुझे इंतज़ार था
तुम्हारे संदेशों का
जो तुमने कहा होगा
चाँद और तारों से
तुम्हारे संदेशों का
जो तुमने कहा होगा
चाँद और तारों से
मैं ढूँढती रही,
ताकती रही
बार -बार आसमान
और किया इंतज़ार
घटाओं के बरस कर
घुल जाने का
ताकती रही
बार -बार आसमान
और किया इंतज़ार
घटाओं के बरस कर
घुल जाने का
लेकिन वो
घटाएं मेरी आँखों में
उतर आई है
घटाएं मेरी आँखों में
उतर आई है
बरसती आँखें
ना देख पाई
आसमान में लिखा संदेश....
ना देख पाई
आसमान में लिखा संदेश....
इंतज़ार है अब
तुम्हारे और मेरे आसमान के
एक होने का
तुम्हारे और मेरे आसमान के
एक होने का
प्रेम सब को एक कर देगा .. मिला देगा ...
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामनाएं ...
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteThank you sir. Its really nice and I am enjoing to read your blog. I am a regular visitor of your blog.
ReplyDeleteOnline GK Test
आसमान के एक होने पर भी अलग अलग होने का आभास कितने रंग बिखेरता है !
ReplyDeleteइस अद्वैत का द्वैत रूप दिखने मे ही रस है .....
बहुत ही सुंदर रचना है ये आपकी, हमेशा की तरह .....
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाओ के साथ ....
जाना पहचाना अंजाना !
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteBahut bhawpurn...prem ras me dooba..ahsaas bhari rachna
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