Saturday, 31 January 2015

इंतज़ार को समझोगे.....

उदासियों को
समझोगे
समझ आएगा
मन का अकेलापन

अंधकार को
समझोगे
समझ आएगा
दीपक का अकेलापन

इंतज़ार को
समझोगे
समझ आएगा
मेरा अकेलापन....

3 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-02-2015) को "जिन्दगी की जंग में" (चर्चा-1876) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. Bahut sunder prateek diye hein...
    Shandaar...

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