चारदीवारी में
एक बड़ा सा दरवाजा है
एक दरवाजा छोटा सा भी हैं
ताला लगा है लेकिन वहाँ
भीतर की तरफ
चारदीवारी के भीतर
कई खिड़की दरवाजों वाली
इमारत है
कुछ रोशनदान से झरोखे भी हैं
लेकिन वे
कस कर बंद कर दिए गए हैं...
इस घर जैसी इमारत में
कई कमरे है
कमरों के दरवाजों पर पर्दे है ं
पर्दों के पीछे
इंसान जैसा कोई रहता है
इस इंसान के पास
हृदय जैसी एक चीज भी है
और
इस हृदय को
उड़ान भरने से कोई
ताला , चारदीवारी रोक
सकती नहीं.....
एक बड़ा सा दरवाजा है
एक दरवाजा छोटा सा भी हैं
ताला लगा है लेकिन वहाँ
भीतर की तरफ
चारदीवारी के भीतर
कई खिड़की दरवाजों वाली
इमारत है
कुछ रोशनदान से झरोखे भी हैं
लेकिन वे
कस कर बंद कर दिए गए हैं...
इस घर जैसी इमारत में
कई कमरे है
कमरों के दरवाजों पर पर्दे है ं
पर्दों के पीछे
इंसान जैसा कोई रहता है
इस इंसान के पास
हृदय जैसी एक चीज भी है
और
इस हृदय को
उड़ान भरने से कोई
ताला , चारदीवारी रोक
सकती नहीं.....
आपने सही कहा है जी . बहुत ही गहरे भाव लिए हुए है .
ReplyDeleteमेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है .
धन्यवाद.
विजय
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteइस हृदय को
ReplyDeleteउड़ान भरने से कोई
ताला , चारदीवारी रोक
सकती नहीं.....
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं।
परदे के पीछे,इंसान जैसा कोई रहता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
बिल्कुल सही...हृदय की उड़ान पर कब लगाया जा सकता है पहरा...
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