पूनम के चाँद का इंतजार है मुझे ...
अब तुम्हें क्या बताऊँ
कितना इंतजार करती हूँ
तुम्हारा
और तुम हो कि
अपना चेहरा दिखला कर
फिर से गुम हो जाते हो ...
सोचा था
इस बार जब तुम आओगे
थाम कर हाथ तुम्हारा
छत पर ले कर जाऊँगी ...
और कह दूंगी
अपने मन की बात
तुम्हारा चेहरा नहीं देखा जाता
अब मुझसे चाँद में ...
अब आंचल में
बाँध कर
चाँद को ही
रखना पास रखना हैं ...
तुम तो चंद्रमाँ की
बढती कलाओं
की तरह आये
घटती कलाओं की
तरह चले गए ...
छोड़ गए बस यादों
और इंतजार की
काली अमावस की रात ,
अब फिर से तुम्हारे
साथ -साथ
पूनम के चाँद का
इंतजार है मुझे ...
( चित्र गूगल से साभार )
आपकी रचना कल बुधवार [03-07-2013] को
ReplyDeleteब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सुंदर सृजन, उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई ,,,उपासना जी..
ReplyDeleteRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर सही और सटीक अभिव्यक्ति
Deletelatest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहोत सुन्दर रचना.........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना , आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे ,http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html
बेहतरीन चाहत लाजवाब वाह क्या कहने
ReplyDeleteये गुम हो जाने की प्रवृति कितनी बुरी है है न !....
ReplyDeleteलगता है इतनी भी बुरी नहीं !.....
कुछ न कुछ तो पनपता ही है इससे ......
बहुत सुन्दर .. बधाई
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