Wednesday, 17 July 2013

अभी भी मेरे पास आशा के दाने भ्रम का पानी ...

 प्यार को तुम्हारे 

बना कर चिड़िया 

  पाला था मैंने ,

कर के बंद पिंजरे में ...


आशा के दाने ,

भ्रम का पानी 

 पिलाती रही बरसों 

तुम्हारे आने की आस लिए ...



 कुछ रेशमी तारों से 

 बुनती रही तुम्हारे


 अहसास को 

अपने आस - पास ...


मुक्त कर दिया ,

लो मैंने आज 

इस चिड़िया को 
 ,
उड़ा दिया दूर गगन में ...


उलझा दिए फिर भी कुछ 

रेशमी तार 

तुम्हारे अहसास के ,

बचे हैं कुछ अभी भी मेरे 

पास आशा के दाने 

भ्रम का पानी ...


11 comments:

  1. प्यार को बना कर चिड़िया पाला था मेने

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  2. प्यार को तुम्हारे बना कर चिड़िया पाला था मेने

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  3. बहुत सुंदर, शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना..
    मनभावन...
    :-)

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  5. बहुत सुंदर , मंगलकामनाये

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  6. जब तक भ्रम बना रहे अच्छा है...
    सुंदर...

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  7. आपकी यह पोस्ट आज के (१७ जुलाई, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखो को श्रद्धांजलि पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती ,आभार।

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  9. ek nirala andaj !
    sundr prastuti !!!

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..मेरी नई पोस्ट अभिव्यंजना में.".कदम धरती पर ,मन में आसमान हो"

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