ना चाहो तो भी
उठ जाता है मन में
एक प्रश्न ,
एक नादान बालक की तरह ...
मन करता है
सामने खड़े हो जाएं
ईश्वर के
और मांगे उत्तर ...
जब टूटे घर -आशियाने
सभी के
बस एक तेरा घर ही
रहा सलामत ...
तुझे क्या दर्द ना आया ...!
तेरी ही गोद में पनपे
रहे खेलते जो ,
मिल गए मिट्टी में ,
हुए धराशायी
बह गए पल भर में ...
रहा देखता तू बस
अपना ही घर बचाता ?
अब तुझे कौन जानेगा
कौन मानेगा ...?
लेकिन
प्रश्न है तो उत्तर भी तो है
ईश्वर
जो मंदिर में कम
हृदय में अधिक बसता है ...
हृदय में भी उसे कहाँ
सुकून है लेकिन
पड़ा है एक कोने में
उपेक्षित सा ,
मंदिर की घंटी उसे मधुर कम
कर्कश ही लगती ...
कराह उठती ईश्वर की भी
आत्मा
रुदन कर पड़ता उसका भी
हृदय ,
पत्थर के घरों में रहता
पाषण से हृदयों में बसने
वाले का हृदय
नहीं है पाषाण सा ...
फूट पड़ती है उसके हृदय से
दर्द की धारा
वही बन जाती धरा पर
प्रलय की धारा ...
बच जाना उसके घर का
है एक चेतावनी ,
एक सन्देश सभी को ,
धरा पर एक ही सत्य है
बस
ईश्वर का नाम ही ...
उठ जाता है मन में
एक प्रश्न ,
एक नादान बालक की तरह ...
मन करता है
सामने खड़े हो जाएं
ईश्वर के
और मांगे उत्तर ...
जब टूटे घर -आशियाने
सभी के
बस एक तेरा घर ही
रहा सलामत ...
तुझे क्या दर्द ना आया ...!
तेरी ही गोद में पनपे
रहे खेलते जो ,
मिल गए मिट्टी में ,
हुए धराशायी
बह गए पल भर में ...
रहा देखता तू बस
अपना ही घर बचाता ?
अब तुझे कौन जानेगा
कौन मानेगा ...?
लेकिन
प्रश्न है तो उत्तर भी तो है
ईश्वर
जो मंदिर में कम
हृदय में अधिक बसता है ...
हृदय में भी उसे कहाँ
सुकून है लेकिन
पड़ा है एक कोने में
उपेक्षित सा ,
मंदिर की घंटी उसे मधुर कम
कर्कश ही लगती ...
कराह उठती ईश्वर की भी
आत्मा
रुदन कर पड़ता उसका भी
हृदय ,
पत्थर के घरों में रहता
पाषण से हृदयों में बसने
वाले का हृदय
नहीं है पाषाण सा ...
फूट पड़ती है उसके हृदय से
दर्द की धारा
वही बन जाती धरा पर
प्रलय की धारा ...
बच जाना उसके घर का
है एक चेतावनी ,
एक सन्देश सभी को ,
धरा पर एक ही सत्य है
बस
ईश्वर का नाम ही ...
sach ye pralay ki dhara na jane aur kya kya tahas nahas karegi... achhi lagi aapki ye rachna
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के धरा की तड़प ..... कितना सहूँ मै .....! खुदा जाने ....!१२८८ ....! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
marmik abhivyakti .aabhar
ReplyDeleteEK SHASHWAT SATY KINTU MAN KO JHINJHODATI
ReplyDeleteकाश ये बात ये इंसान समझ पाये
ReplyDeleteधरा पर एक ही सत्य है ईश्वर का नाम ,,,
ReplyDeleteसुंदर रचना,,,
RECENT POST : तड़प,
मार्मिक रचना
ReplyDeleteएक ही सत्य है बस् ईश्वर का नाम ...... सुन्दर रचना, बधाई आप को
ReplyDeleteसत्य ही सत्य
ReplyDeletewaaaaaaaaaaaaaaah khub
ReplyDeleteएक वही आसरा बचा है -नहीं रहा तो फिर इंसान क्या करेगा !
ReplyDeleteसुंदर रचना ! जहाँ भगवान के घर पर भी खतरा मंडरा रहा हो वहाँ इंसान की कौन बिसात है ! यहाँ भी विषमता और विसंगति का उदाहरण सामने आ गया ! ऊंचाई पर मज़बूत पत्थरों से बना भगवान का मंदिर बच गया और आम आदमी के लकड़ी और टीन टप्पर के झोंपड़े सब बह गये ! भगवान मौन हो निस्पृह भाव से यह विनाश लीला देखते रहे ! दर्दनाक हादसा ! आशा है भगवान और उनके भक्त मुझे माफ कर देंगे !
ReplyDeleteसमयानुकूल रचना। ईश्वर है या नहीं पता नहीं और उसे ढूंढने की भी जरूरत नहीं पर पकृति में अद्भुत ताकतें है जो कभी खुश होती हौ तो कभी रूद्रावतार धारण जरूर करती है। ईश्वर को मंदिरों में ढूंढने की अपेक्षा हृदय में ढूंढे यहीं अच्छा है। शायद श्रद्धालु यह करते तो जीवित हानी बचती।
ReplyDeletesach kaha apne bas ek hi satya hai....marmik rachna....humne prakirti jo diya wahi vapas mil raha hai....ab bhi hum na jage tho kab jagengay
ReplyDeleteईश्वर ही सत्य सुंदर अभिव्यति है
ReplyDeleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteकाश कि समय रहते इंसान यह सब समझ पाता ..
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना
ईश्वर ही सत्य है. सुंदर सन्देश प्रेषित करती रचना.
ReplyDeleteसुन्दर रचना .
ReplyDeleteबहुत भावुक रचना
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