तुझसे ना मिलने की
कसम खाई थी कभी ,
पर ख्वाबों में मिलने की
चोरी तो करते हैं
अभी भी ...
खुद को चार दीवारी में
रखने की कसम
खाई थी कभी ,
पर दीवार की
खिड़की से तुझे
ताकने की चोरी तो करते हैं
अभी भी ...
तेरा नाम भी जुबां पर
ना लाने की कसम
खाई थी कभी ,
पर गीतों के बहाने
तेरा नाम गुनगुनाने
की चोरी तो करते हैं
अभी भी ...
सुन्दर रचना
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन
ReplyDeleteऐसी चोरी की कोइ सज़ा नही
very nice
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ReplyDeleteप्यार में कसम खाते है तोड़ने के लिए - बढ़िया प्रस्तुति
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
लयात्मक और भावुक प्रस्तुति मानो कोई छोटा पानी का झरना बह रहा हो और उसके बहने की गुंज घटों सुनने का मन कर रहा हो।
ReplyDeleteवाह! बहुत कोमल अहसास...
ReplyDeleteप्रेम के अहसास से सजी लेखनी
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत भाव लिए रचना
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,
ReplyDeleterecent post : मैनें अपने कल को देखा,
कोमल अहसासों से सजी कमनीय सी कृति ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत खूब। बधाई।।
ReplyDeleteबहुत प्यारी है ये चोरी ....करते रहना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteकितना बचेंगी , इतना तो चलेगा !
ReplyDeleteवाह . बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteमन के भीतर पनप रहे प्रेम को व्यक्त करती सुंदर रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है- पापा ---------
चोरी करतें है क्यूँ की जिंदा है तू मुझ मे ......अभी भी.
ReplyDeleteवाह क्या सुन्दर लिखा है
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