Wednesday, 6 March 2013

यही वादा था तुम्हारा ..


 तेरे शहर में
अजनबी सी खड़ी हूँ 
मैं,  आज 
लिए एक अजनबियत का 
अहसास  

 उन हवाओं में
वो महक  अब न रही
जिन हवाओं की महक 
लिए एक बार फिर चली 
आई हूँ तेरे शहर में 

 कभी तुम्हारे 
साथ गुज़रा करती थी ,
वे गलियां भी अजनबी
सी ही लगी आज मुझे ..

बन अजनबी सी खड़ी हूँ 
उसी दरख्त के नीचे...

ये दरख्त गवाह है हमारे 
प्रेम  का ,
जहाँ हम मिला करते थे 
अक्सर ,
आखिरी बार भी यहीं मिले थे 

तुम्हारा वादा 
हाँ ...!
तुमने तो वादा किया था 
तुम्हारा  प्रेम  कभी कम ना होगा 
चाहे मिले या ना मिल पायें कभी ...

यह दरख्त गवाह है 
अगर किसी दिन भुला दिया 
तुमने , मुझे ..
इसकी पत्तियां पीली पड़ जाएगी 
यही वादा था तुम्हारा ..

देखो आज इसी दरख्त के
नीचे खड़ी हूँ ,
इसकी पीली पत्तियां समेटती .......

23 comments:

  1. बहुत उम्दा शानदार अभिव्यक्ति,,,

    Recent post: रंग,

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी ....

      Delete
  2. Vah kya khoob khoobshurat ahsas se laberej(please visit on my blog ZINDGI SE MUTHBHED to comment)

    ReplyDelete
  3. हार्दिक आभार अज़ीज़ जौनपुरी जी ..

    ReplyDelete
  4. किसी की झूठी कसमें निभाते ... पीली पत्तियों का समेटना ...
    गहरा एहसास लिए ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद दिगम्बर नसवा जी .....

      Delete
  5. अति सुन्दर लिखा है..

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार अमृता जी

      Delete
  6. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मदन मोहन जी ........

      Delete
  7. हार्दिक आभार राविकर जी ........

    ReplyDelete
  8. हार्दिक आभार तुषार राज जी ........

    ReplyDelete

  9. यादें बीते दिनों की -बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आप भी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
    latest postअहम् का गुलाम (भाग एक )
    latest post होली

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका ......

      Delete
  10. प्रेम और दर्द का अहसास एक साथ ..बहुत खूब

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार अंजू ...

      Delete
  11. सुंदर लेखन

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मनु प्रकाश जी ....

      Delete
  12. दर्द टूटे वादों का ...पुरानी यादों का .......सुंदर प्रस्तुति
    कृपया एक नजर इधर भी डालें .मेरे ब्लॉग (स्याही के बूटे) पर ..आपका स्वागत है
    http://shikhagupta83.blogspot.in/

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार शिखा जी ...

      Delete
  13. प्रेम और पीड़ा की सुंदर प्रस्तुति,,,

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

    ReplyDelete
  14. नाजुक से एहसास ... भावमय करती प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
  15. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति! दिल को छू गयी....
    ~सादर!!!

    ReplyDelete