ये पर्वत, सफ़ेद रुई
जैसी बर्फ से घिरे ऐसे लगे
जैसे ...बूढी नानी की गोद
जिसमे बैठ कर
कहानी सुनते -सुनते सो जाएँ ............
जिसमें बैठ कर
सारी थकान भूल जाएँ ........
जैसे... पिता का मजबूत सहारा ,
जहाँ हर दुःख दूर हो जाये ........
जैसे ...प्यारी सखी का संग
जिसके डाल गलबहियां
बतिया ले हर दुःख-सुख ....
जैसे .....प्रियतम का साथ जिसके
आगोश में हर गम भुला दें ......
खुबसूरत कल्पना संग रिश्तों की उड़ान बहुत प्यारी ...
ReplyDeleteबढ़िया कथानक | आभार
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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सुन्दर उपमाओं से सजी पोस्ट.......वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें।
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