Wednesday, 27 February 2013

ये पर्वत..


ये पर्वत, सफ़ेद रुई
 जैसी बर्फ से घिरे ऐसे लगे 

जैसे ...बूढी नानी की गोद 
जिसमे बैठ कर 
कहानी सुनते -सुनते सो जाएँ ............

 जैसे... माँ की गोद 
जिसमें बैठ कर 
सारी थकान भूल जाएँ ........

जैसे... पिता का मजबूत सहारा ,
जहाँ हर दुःख दूर हो जाये ........

जैसे ...प्यारी सखी का संग 
जिसके डाल गलबहियां 
बतिया ले हर दुःख-सुख ....

जैसे .....प्रियतम का साथ जिसके 
आगोश में हर गम भुला दें ......

3 comments:

  1. खुबसूरत कल्पना संग रिश्तों की उड़ान बहुत प्यारी ...

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  2. बढ़िया कथानक | आभार

    यहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  3. सुन्दर उपमाओं से सजी पोस्ट.......वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आयें।

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