हर जगह ,हर तरफ
बहुत लोग है ,
गहमागहमी है लोगों
की हर तरफ
हर जगह ....
फिर भी मुझे ऐसा
क्यूँ लगता है
हर तरफ , हर जगह
एक जगह तो
रिक्त है ...
वह तुम हो ...!
शायद तुम ही हो ,
नहीं 'शायद' नहीं ,
सच में ही तुम
ही हो ....
जिसकी कमी मुझे
खलती रही है
हर तरफ, हर जगह ....
अच्छी कशमकश ...
ReplyDeleteसंगीता जी आपका हार्दिक धन्यवाद
DeleteNice...
ReplyDeleteसंध्या जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteमन की उहापोह का सुंदर चित्रण .....
ReplyDeleteमोनिका जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteयही कमी एक दिन उसकी तरफ ले जाती है ।
ReplyDeleteइमरान अंसारी जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteसुंदर चित्रण .
ReplyDeleteमदन मोहन जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteमन के अहसासों का सुंदर चित्रण,,,,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
धीरेन्द्र जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteachchi kavita.
ReplyDeletetbsingh जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteहोता है ऐसा....किसी एक की कमी जिंदगी वीरान कर देती है
ReplyDeleteरश्मि जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteकिसी खास के लिए हमेशा दिल के कोने में जगह रहती है...
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति .....
रीना जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteतुम हरेक शै में किसी शै की कमी पाओगी
ReplyDeleteरमाकांत सिंह जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteयशोदा जी आपका हार्दिक धन्यवाद
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