तुम्हारा नाम
पत्थर पर नही लिखा था मैंने
पत्थरों पर लिखे नाम
वक्त के साथ धुंधला जाते है .........
तुम्हारा नाम ,
सागर किनारे लिखा था मैंने
सागर के किनारे
की रेत पर लिखे नाम
कभी नहीं मिटते .......
लहरों के साथ सागर
में ही मिल जाते है
सागर किनारे लिखे नाम ,
बहते रहते है
हर लहर के साथ
न घुलते है न गलते है ..
शायद इसी लिए ,
सागर का पानी खारा होता है ..
आंसुओं से
जो लिखे होते है
आभार सुमित प्रताप जी ....नाम हिंदी में कर दिया
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण उत्कृष्ट रचना.
ReplyDeleteहार्दिक आभार राजेन्द्र जी .....
Deleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeletelatest postउड़ान
teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "
हार्दिक आभार कालिपद जी .....
Deleteकुछ कुछ सागर से गहरे अहसास
ReplyDeleteहार्दिक आभार अंजू जी
Deleteबहुत ही सुन्दर. आभार
ReplyDeleteहार्दिक आभार मदन मोहन जी ..
Deleteसुन्दर भाव..सागर से गहरे..
ReplyDeleteहार्दिक आभार महेश्वरी कनेरी जी
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक पोस्ट!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
हार्दिक आभार रूपचन्द्र शास्त्री जी
Deleteवाह, क्या सुन्दर भाव ,,,,
ReplyDeleteसाभार!
हार्दिक आभार शिवनाथ कुमार जी
Deleteहार्दिक आभार , रविकर जी
ReplyDeletebahut hi badhiya bahin ji umdaa
ReplyDeleteहार्दिक आभार मुकेश
Deleteउपासना जी बहुत ही अच्छी रचना .........सुन्दर भाव ........:)
ReplyDeleteहार्दिक आभार अरुणा जी
Deletewahhhhh bahut achche..
ReplyDeleteहार्दिक आभार नीता जी
Deleteसंमदर के किनारे मै आज जब बैठती हु..
ReplyDeleteलहेरो की आवाज में तेरा नाम सुनाई देता है..
जो लहेरो में साथ में मिल कर भीगते थे हम,
आज वो लहेरे हमें अकेले देख कर उदास हों जाती है...
जब साथ में अपना नाम हम लिखते थे रेत में...
और लहेरे आके वो दोनों नाम खुद में समां लेती थी..
आज वो ही लहेरे हमें अकेला देख कर..
तेरा नाम मुजे वापस दे जाती है...
नीता कोटेचा.
बहुत खूब नीता जी ......बहुत सुंदर लिखा है
Deleteप्रेम की गहन अनुभूति
ReplyDeleteसुंदर रचना
हार्दिक आभार ज्योति खरे जी
Deleteआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 16/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार यशोदा जी
Deleteआंसुओं से लिखा सागर किनारे नाम मिटता कैसे !
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिय्वाक्ति!
हार्दिक आभार वाणी जी
Deleteसागर किनारे लिखे नाम मिटते नहीं....वाह! एक नई सोच देती बढ़िया कविता! बधाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteहार्दिक आभार सारिका जी
Deleteवाह! एक नयी सोच और उसकी प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteहार्दिक आभार कैलाश शर्मा जी
Deletenayee soch ki sundar abhivyakti..
ReplyDeleteहार्दिक आभार कविता जी
Deleteउत्कृष्ट भाव, सुंदर रचना.
ReplyDeleteहार्दिक आभार रचना जी
Deleteसुंदर भावना प्रधान रचना.....
ReplyDeleteहार्दिक आभार अरुण कुमार जी
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteहार्दिक आभार निहार रंजन जी
Deleteहार्दिक आभार नीलिमा जी
ReplyDeleteसुन्दर भावों के साथ .. बढ़िया अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक आभार महेन्द्र जी
Deleteसुकुमार और स्नेहिल भावों से भरी सुन्दर रचना !
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रतिभा जी
Deletewaah, pyari rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
हार्दिक आभार प्रीटी जी
Deleteसागर के पानी के खारा होने का कारण आसुओं से लिखे नाम कहना अद्भुत कल्पना है। आंखों से पानी तब आता है जब ज्यादा दुःख हो और तब भी जब ज्यादा खुशी हो। मैं चाहूं कि आपके आंखों में हमेशा पानी रहे... ज्यादा खुशी के और आप इस तरह की कविता लिखे ताकि हम और हमारे साथ दुनिया भी खुश रहे।
ReplyDeleteहार्दिक आभार विजय जी
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