मैं शिव ...!
तुम्हारे हृदय में
बसने वाला ...
तुम्हारे हृदय के
हर तार
हर भाव को समझने वाला ......
रे मानव ...!
तू तो जानता है
बिना मेरे या
बिना शिव के ,
तुम्हारी देह मात्र
शव ही तो है ...!
मैं उलझ जाता हूँ
जब तू चला आता है
अपने अंतःकरण में
लिए उलझनों का
अम्बार ...
तब
शीतल जल और दुग्ध
नहीं कर पाते मुझे शीतल
शांत ही मन जब ना हो
तुम्हारा ...
मन शांत भी कैसे हो तुम्हारा
मन बैठे मुझी को तुम
करते को रखने से इंकार ,
बसाये रखते हो
उलझनों का अम्बार ...
एक बार तू
मुझसे बतिया कर
मुझी से कह अपने मन
की बात ..
मैं हर लूँगा तुम्हारा हर
दुःख -संताप ...
रे मानव ...!
तुम्हारे इस संकीर्ण हृदय में
केवल शिव ही
बस सकता है या फिर
मायावी उलझने ...
शिव है तो तू है
नहीं तो तू शव के
सामान ही है ...
.
marmsparshi "RE MANV.......BHAV PURN RCHNA
ReplyDeleteआभार , अज़ीज़ जौनपुरी जी
Deleteshiv hai to tu hai....:)
ReplyDeletebahut behtareenn....
shubhkamnayen..
आभार , मुकेश जी
Deleteजय हो भोले नाथ की!
ReplyDeleteजय हो भोले की भक्त उपासना जी की!
आभार , सुमित प्रताप जी
Deleteसुन्दर प्रस्तुति,महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआभार , राजेंद्र कुमार जी
Deleteआपको भी मंगल कामनाए ......
बहुत सुन्दर उपासना जी .. जय भोले नाथ
ReplyDeleteआभार , मीना जी
Deleteबहुत खूब ...शिवमय रचना
ReplyDeleteआभार , अंजू जी
Deleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeletelatest postअहम् का गुलाम (दूसरा भाग )
latest postमहाशिव रात्रि
आभार , कालीपद जी .....आपको भी मंगल कामनाएँ
Deleteबढ़िया -
ReplyDeleteआभार आदरेया -
हर हर बम बम -
आभार , रविकर जी
Deleteबहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआभार कैलाश शर्मा जी ....
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDelete:-)
आभार रीना जी ....
Deleteप्रभावशाली अंतर्मन की व्याख्या हर हर महादेव
ReplyDeleteआभार , रमाकांत सिंह जी
Deletejeevan ke gehan dharatal ki anubhuti shiv ka aaj se sarokar karati rachna
ReplyDeletesunder
आभार , ज्योति खरे जी ..
Deleteआभार , रूपचंद्र शास्त्री जी
ReplyDeleteमाटी के तन में निवसित शिवतत्व ही वरेण्य हैं -आपका संदेश इस महानिशा को दीपित करे!
ReplyDeleteआभार , प्रतिभा जी ...
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