कितने चेहरे
हैं आस -पास
इन चेहरों की भीड़ में
तलाश ,
एक अपने से
जाने पहचाने चेहरे की
तलाश
एक पहचानी सी
मुस्कान की
जो मिले ,लिये
आँखों में वही जान -पहचान
तलाश
पूरी कब होती है
समय बदलता है
चेहरे बदल जाते हैं ...
तलाश
फिर भी कायम है
इस
बदलते समय में ,
एक अपनेपन की
उन्हीं बदले हुए चेहरों में
कभी-कभी यह
तलाश
कभी भी ख़त्म नहीं होती
तलाश
खत्म भी कैसे हो
जब वही जाने -पहचाने
चेहरे
मिल कर भी नहीं मिलते ,
फिर रहे हों अजनबियत
का मुखोटा पहने ......
तलाश
फिर भी जारी है
इंतजार भी है उन
अजनबियत के
मुखोटों के उतरने का .....
हैं आस -पास
इन चेहरों की भीड़ में
तलाश ,
एक अपने से
जाने पहचाने चेहरे की
तलाश
एक पहचानी सी
मुस्कान की
जो मिले ,लिये
आँखों में वही जान -पहचान
तलाश
पूरी कब होती है
समय बदलता है
चेहरे बदल जाते हैं ...
तलाश
फिर भी कायम है
इस
बदलते समय में ,
एक अपनेपन की
उन्हीं बदले हुए चेहरों में
कभी-कभी यह
तलाश
कभी भी ख़त्म नहीं होती
तलाश
खत्म भी कैसे हो
जब वही जाने -पहचाने
चेहरे
मिल कर भी नहीं मिलते ,
फिर रहे हों अजनबियत
का मुखोटा पहने ......
तलाश
फिर भी जारी है
इंतजार भी है उन
अजनबियत के
मुखोटों के उतरने का .....
sahi kaha.....aajkal kuch jyada hi aisa hone laga hai.....umda rachna
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया रेवा जी
Deleteबढ़िया रचना | बेहतरीन | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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बहुत शुक्रिया तुषार राज जी
Deleteबहुत शुक्रिया यशोदा जी
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
हार्दिक आभार वंदना जी
Deleteबहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,के लिए बधाई उपासना जी
ReplyDeleteRecentPOST: रंगों के दोहे ,
हार्दिक आभार धीरेन्द्र जी
Deleteबहुत सुन्दर भाव खुबसूरत प्रस्तुति उपासना जी !
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
हार्दिक आभार कालिपद जी
Deleteखुबसूरत रचना ,सुन्दर लेखन
ReplyDeleteहार्दिक आभार अज़ीज़ जौनपुरी जी
Deleteउपासना जी अच्छी रचना।
ReplyDelete'तलाश फिर भी जारी है' हम अपने आस-पास अपनों की तलाश करते हैं। कहीं कोई हरियाली हो जिससे मन को सुख, शांति, समाधान मिले। इस तलाश में मनुष्य अपनी जिंदगी लगाता है।
सुंदर कविता लिखते रहें।
हार्दिक आभार विजय जी
Deleteआज अपनों के चेहरे पर भी अजनबीयत के भाव...फिर भी तलाश भीड़ में एक चेहरे की जो अपना हो...बहुत भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteहार्दिक आभार कैलाश शर्मा जी
Deleteएक नई उड़ान की तलाश
ReplyDeleteहार्दिक आभार अंजू जी
Deletebehtreen rachna
ReplyDeletebehtreen rachna
ReplyDeleteहार्दिक आभार शांति जी
Deleteबदलते हुए रूपों में हर चेहरा अजनबी लगता है -कभी-कभी तो अपना भी!
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रतिभा जी
Deleteबहुत बहुत सुन्दर तलाश |बधाई |होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं पहले से ,ही क्यूं की मैं बाहर जा रही हूँ |
ReplyDeleteआशा
हार्दिक आभार आशा जी
Deleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.
ReplyDeleteहार्दिक आभार राजेन्द्र कुमार जी
Deleteumda rachna hai,bdhai aap ko
ReplyDeleteहार्दिक आभार अवन्ती जी
Deleteतलाश आज भी जरी है अपनेपन की
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''
हार्दिक आभार सरिता जी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार ओंकार जी
Deleteतलाश ही तो जीवन में रवानगी है ......
ReplyDeleteखुबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteजिंदगी भर चलती है ये तलाश ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
talash kabhi na kahtm hone wali prkriya ......lajbab rachana ke liye aabhar Upasana ji .
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