उसने , अपनी कजरारी आँखों
में काज़ल की लकीरों से,एक
लक्ष्मण रेखा खींच रखी है .........
.इस रेखा के पीछे उसने ना जाने
कितने अरमान ,गम को धकेल
रखा है अपने भीतर .......
उभरते आंसूओं को अपनी आँखों की
चमक बताती ,ना जाने कितने अंधेरों
को धकेल रखा है अपने भीतर ......
उसने अपने लबों पर जो रंगीन रेखा है
उसको भी एक लक्ष्मण रेखा ही बना
रखा है .............
इस रंगीन रेखा को ,एक मुस्कान से
खिलखिलाहट में बदलने में ना जाने
कितनी सिसकियाँ दबाई है उसने ..........
में काज़ल की लकीरों से,एक
लक्ष्मण रेखा खींच रखी है .........
.इस रेखा के पीछे उसने ना जाने
कितने अरमान ,गम को धकेल
रखा है अपने भीतर .......
उभरते आंसूओं को अपनी आँखों की
चमक बताती ,ना जाने कितने अंधेरों
को धकेल रखा है अपने भीतर ......
उसने अपने लबों पर जो रंगीन रेखा है
उसको भी एक लक्ष्मण रेखा ही बना
रखा है .............
इस रंगीन रेखा को ,एक मुस्कान से
खिलखिलाहट में बदलने में ना जाने
कितनी सिसकियाँ दबाई है उसने ..........
awesome upasnaa ji
ReplyDeleteBahut Sunder Lakshman rekha khinchi Upasna sakhi
ReplyDeletebahut shukriya sakhi rama...
Deleteसुन्दर रचना ..सुन्दर छवि के साथ !!
ReplyDeletedhanywaad shobha ji........
Deleteइस रंगीन रेखा को ,एक मुस्कान से
ReplyDeleteखिलखिलाहट में बदलने में ना जाने
कितनी सिसकियाँ दबाई है उसने ..........यथार्थ रख दिया आपने
bahut shukriya peaveena ji.........
Deleteस्त्री है ना ......'सशक्त रचना' ...
ReplyDeletebahut shukriya pratibha di.....
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