Friday, 24 February 2012

लक्ष्मण रेखा

उसने , अपनी कजरारी आँखों 
में काज़ल  की लकीरों से,एक 
 लक्ष्मण रेखा खींच रखी है .........  
.इस रेखा के पीछे  उसने ना जाने
 कितने अरमान ,गम को धकेल 
रखा है अपने भीतर .......
उभरते आंसूओं को अपनी आँखों की 
चमक बताती ,ना जाने कितने अंधेरों 
को धकेल रखा है अपने भीतर ......
उसने अपने लबों पर जो रंगीन रेखा है 
उसको भी  एक लक्ष्मण रेखा ही बना
 रखा है .............
इस रंगीन रेखा को ,एक मुस्कान से
 खिलखिलाहट में बदलने में ना जाने
 कितनी सिसकियाँ दबाई है उसने ..........


9 comments:

  1. Bahut Sunder Lakshman rekha khinchi Upasna sakhi

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  2. सुन्दर रचना ..सुन्दर छवि के साथ !!

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  3. इस रंगीन रेखा को ,एक मुस्कान से
    खिलखिलाहट में बदलने में ना जाने
    कितनी सिसकियाँ दबाई है उसने ..........यथार्थ रख दिया आपने

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  4. स्त्री है ना ......'सशक्त रचना' ...

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