Thursday 17 September 2015

बिखरे हुए अक्षर चुन कर...

बिखरे हुए
अक्षर
चुन कर
बना दिए जाते हैं
मन चाहे
शब्द ...
मनचाहे शब्दों की
कड़ी
बुन देती है
वाक्य की जंजीर...
इस जंजीर में
भरे जाते हैं
भावों के रंग...
और बन जाती है
विभिन्न रंगों के
भाव भरी
एक रचना...

4 comments:

  1. बिलकुल सच...शब्दों का भावों से संयोजन ही तो कविता है...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-09-2015) को  " माँ बाप बुढापे में  बोझ क्यों?"   (चर्चा अंक-2103)  पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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