जिन्दगी सम्भली सी
बंधी है
एक नियत दायरे में ,
या
खुल कर
बिखरने को आतुर है ।
चुप रहें ,
बात करें ,
हंसे या
मुस्कुराएं....
सही राह
चलते रहना है
या
नई पगडंडियां भी
आजमाना है ।
बदहवास सी
भटकन ही तो है
यह जिंदगी ।
बंधी है
एक नियत दायरे में ,
या
खुल कर
बिखरने को आतुर है ।
चुप रहें ,
बात करें ,
हंसे या
मुस्कुराएं....
सही राह
चलते रहना है
या
नई पगडंडियां भी
आजमाना है ।
बदहवास सी
भटकन ही तो है
यह जिंदगी ।
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : दिन कितने हैं बीत गए
यही जींदगी है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteयही तो जिंदगी है ... बहुत खूब लिखा है ...
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