चुप है एक माँ,
क्या कह कर मन को मनाए,
क्या समझाए किसी को ।
रोती हुई माओं के
साथ ही रो पड़ती है
वह स्वयं....
प्रार्थना ,
सांत्वना
सभी शब्द छोटे और झूठे
नज़र आते हैं।
कब सोचा था किसी ने भी
विदा के लहराते हाथ
किताबें थामें हाथ ,
अंतिम विदाई लिए
खुद किताबों में लिखा इतिहास बना
दिये जाएंगे ।
जो दौड़ आते थे
माँ की एक पुकार पर
अब नहीं सुनाई देती उनको
कोई भी आवाज़...
माँ किसी को बद् दुआ
कहाँ देती है !
लेकिन,
उसका तड़पता हृदय
दुआ भी तो नहीं देता ।
वहशी दरिंदों को क्या
अपनी माँ का भी
ख्याल ना आया !
क्या उन्हें दूध का कर्ज
यूं किसी माँ की गोद
उजाड़ कर ही चुकाना था !
सुना है
माँ की दुआ अमृत की
तो
बददुआ तेज़ाब की बरसात करती है ।
अब इंतज़ार है तो बस
उन वहशी दरिंदों पर
तेज़ाबी बरसातों के बरसने की,
जो बद् दुआ बन कर उमड़ रही है
दुनिया की हर मां के हृदय से ।
क्या कह कर मन को मनाए,
क्या समझाए किसी को ।
रोती हुई माओं के
साथ ही रो पड़ती है
वह स्वयं....
प्रार्थना ,
सांत्वना
सभी शब्द छोटे और झूठे
नज़र आते हैं।
कब सोचा था किसी ने भी
विदा के लहराते हाथ
किताबें थामें हाथ ,
अंतिम विदाई लिए
खुद किताबों में लिखा इतिहास बना
दिये जाएंगे ।
जो दौड़ आते थे
माँ की एक पुकार पर
अब नहीं सुनाई देती उनको
कोई भी आवाज़...
माँ किसी को बद् दुआ
कहाँ देती है !
लेकिन,
उसका तड़पता हृदय
दुआ भी तो नहीं देता ।
वहशी दरिंदों को क्या
अपनी माँ का भी
ख्याल ना आया !
क्या उन्हें दूध का कर्ज
यूं किसी माँ की गोद
उजाड़ कर ही चुकाना था !
सुना है
माँ की दुआ अमृत की
तो
बददुआ तेज़ाब की बरसात करती है ।
अब इंतज़ार है तो बस
उन वहशी दरिंदों पर
तेज़ाबी बरसातों के बरसने की,
जो बद् दुआ बन कर उमड़ रही है
दुनिया की हर मां के हृदय से ।
जरूर बरसेगी … माँ कभी बद्दुआ नही देती और जब देती है तो कहर बन जाती है
ReplyDeleteबद्दुआएं अवश्य फलित होंगी - हम भी अपने हाथ उठाकर यही माँग रहे हैें !
ReplyDeleteमाँ की दुआ और बदुआ अवश्य फलीभूत होती हैं!
ReplyDeleteधरती की गोद
इंसानियत के दुश्मनों को जरूर बद्दुआ लगेगी.
ReplyDeleteनई पोस्ट : आदि ग्रंथों की ओर - दो शापों की टकराहट
badduyaaye kabul ho ...namste di
ReplyDeleteअब इंतज़ार है तो बस
ReplyDeleteउन वहशी दरिंदों पर
तेज़ाबी बरसातों के बरसने की,
जो बद् दुआ बन कर उमड़ रही है
दुनिया की हर मां के हृदय से ।
..बद् दुआ तो लगेगी है ऐसे हैवानों को ..इन्हें तो जिन्दा दफ़न कर देना चाहिए...
माँ किसी को बद् दुआ
ReplyDeleteकहाँ देती है
लेकिन
उसका तड़पता हृदय
दुआ भी तो नहीं देता ।
सार्थक और सुन्दर शब्द