जब कोई इंसान
मुहब्बत
में होता है
उसे वृक्षों की पत्तियां
हरी दिखाई देने लग जाती है ...
खिले फूल ,
आसमान में
उड़ते पंछी भी
बहुत सुन्दर दिखाई
देने लगते हैं ...
ज्यादा भावुक भी
क्या होना है अब
यह जान -समझ कर ...
कि कोई इंसान
मुहब्बत में नहीं भी होता है
तो ,
उसे भी वृक्षों की पत्तियाँ हरी ,
खिले फूल सुन्दर
और
आसमान में उड़ते पंछी भी
अच्छे ही दिखाई देतें है ...
उनकी कहीं कोई
नज़र कमजोर थोड़ी ना
होती है ........
thank u so much yashwant ji
ReplyDeleteबस मोहब्बत में उनके रंग थोड़े और निखरे होते हैं..और वे दिल के और करीब महसूस होते हैं
ReplyDeleteहा हा ... सही कहा है रंग तो वही रहते हैं पर दृष्टि बदल जाती है ...
ReplyDeleteठीक है बिना भावुक हुए ही कहे देता हूँ कि आप ने जिस तरह से बात कही है वो पसंद आया है !
ReplyDeleteaapka andaaz sundar laga
ReplyDeleteबड़े पते की बीत कह दी है उपासना जी ! बस मोहोब्बत करने वाले इंसान के लिये हर वस्तु की परिभाषा बदल जाती है चाहे वह कितनी ही सामान्य क्यों न हो ! !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति . आभार रुखसार-ए-सत्ता ने तुम्हें बीमार किया है . आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
ReplyDeleteबेहतरीन ,लिखने का खूबशूरत अंदाज़
ReplyDeleteइतनी बड़ी बात को आपने चंद लाइनों मे व्यक्त कर दिया सुंदर अभिव्यक्ति है आपकी
ReplyDeletemuhabbat me unme khushiyon ke rang aur gadhe dikhayi dene lgte hai ...
ReplyDeleteबहुत खूब |
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब....
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteKHUBSURAT ANDAZEBAYAAN
ReplyDeleteप्रेम में ताजा प्रवेश करने वाले व्यक्ति के लिए प्रकृति वैसे ही होती है जैसे सबके लिए, कोई फर्क नहीं आपने सही कहा। पर प्रेम करने वाले की बाहरी नहीं भीतरी दिल की प्रकृति बदली होती है और वह हवा के लहरों पर सवांर होकर आकाश में उडने लगता है। बस आम इंसान और प्रेमी के बीच यहीं अंतर होता है।
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