दुआ दिल से दी
लब ख़ामोश रहे तो क्या।
आँखे बंद किये
दीदार कर लिया
जिस्म दूर रहे तो क्या।
ख़ुशी में हो या हो ग़म
याद आते हैं
दूर जाने वाले
दिल ही दिल में महसूस कर लिया
छू ना पाये तो क्या।
महफ़िल में मुस्कुराये
छुप कर आंसूं बहाये तो क्या।
ओ बेख़बर
तू ख़ुश रहे सदा
हम इस जहां से चले जाये तो क्या।
बढ़िया व सुंदर कृति , उपासना जी बढ़िया लेखन धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी लिखी रचना मंगलवार 10 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-06-2014) को "समीक्षा केवल एक लिंक की.." (चर्चा मंच-1639) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
दिल से मांगी गई दुआ ज़रूर कुबूल होती है .. सुन्दर रचना!
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर प्रस्तुति...जहाँ से जाएं आपके दुश्मन...
ReplyDeleteख़ुशी में हो या हो ग़म
ReplyDeleteयाद आते हैं
दूर जाने वाले
दिल ही दिल में महसूस कर लिया
छू ना पाये तो क्या।
सुंदर रचना...
Bahut acchi dua hai..... Umdaaa !!
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