Monday, 16 June 2014

तेरी याद है मय की मानिंद...

जिंदगी जैसे
बियाबान जंगल सी ,
भटकती अंधेरों की
अनजान राहों में
 तलाशती  पगडंडियां।

जिंदगी जैसे
रेत के सहरा सी ,
तपते -दहकते रेत  के शोलों पर
तलाशती एक बूंद पानी।

बस एक  तेरा नाम
तेरी याद  है
मय की मानिंद।

डूबी है जिंदगी
तेरी याद के सुरूर में
मिलती  जाती है
मंज़िल खुद -ब -खुद ही।

1 comment: