यह जीवन
हर दिन आस भरा
उम्मीद भरा
भोर से साँझ तक।
हर रोज़ एक आस
उदित होती है
सूर्य के उदय के
साथ - साथ।
छाया सी डोलती
कभी आगे चलती है
कभी लगता है
दम तोड़ देगी
क़दमों तले
भरी दोपहर में।
नज़र आती है
हथेलियाँ खाली सी
लेकिन
दिन ढले
चुपके से दबे पाँव
पीछे से आ
कन्धों पर हाथ रख देती है।
रात्रि के घोर अँधेरे में ,
निद्रा में भी
आस
पलती है स्वप्न सी।
आस -उम्मीद से
भरा जीवन ही
देता है जीने की प्रेरणा।
हर दिन आस भरा
उम्मीद भरा
भोर से साँझ तक।
सूर्य के उदय के
साथ - साथ।
छाया सी डोलती
कभी आगे चलती है
कभी लगता है
दम तोड़ देगी
क़दमों तले
भरी दोपहर में।
नज़र आती है
हथेलियाँ खाली सी
लेकिन
दिन ढले
चुपके से दबे पाँव
पीछे से आ
कन्धों पर हाथ रख देती है।
रात्रि के घोर अँधेरे में ,
निद्रा में भी
आस
पलती है स्वप्न सी।
आस -उम्मीद से
भरा जीवन ही
देता है जीने की प्रेरणा।
उम्मीद के दामन को पकड़े सुन्दर और सराहनीय
ReplyDeleteबढ़िया व सुन्दर लेखन , प्रेरणा देती बढ़िया रचना , आदरणीय को धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आस और उल्लास विना जीवन कुछ नही..्सुन्दर सार्थक रचना..
ReplyDeleteप्रेरक रचना
ReplyDeleteAas pe Jivan kaym hai
ReplyDeleteप्रेरणादायी भाव....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेरणा डाक रचना !
ReplyDeletenew post ग्रीष्म ऋतू !
सुन्दर भाव...बहुत खूब...
ReplyDeleteBadhiyaan prastutikarana!!
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