Wednesday 17 February 2016

कैसा ये खेल है सूत्रधार का ....

रंगमंच सी दुनिया है ,
सूत्रधार की कल्पना से परे !

पुरुषों के दो सर हैं 
और स्त्रियां हैं यहाँ
बिना सर की  !

बेटे के पिता का सर ,
बेटी के पिता से कितना भिन्न है !

एक बहन के भाई का सर भी
तो भिन्न है !
राह जाती किसी दूसरी
बहन के भाई से !

 देख कर अपनी 
सुविधा -सहूलियत 
पुरुष बदल लेते हैं अपने सर !

यहाँ स्त्रियां खुश रहती हैं
 इसी बात में ,
जन्म से ही बिना सर की हैं वे !
सिर नहीं है तभी तो 
कदम चलते हैं  उनके ,
जमे रहते हैं धरा पर !

कुछ स्त्रियां  हैं ,
जिनके उग आए हैं सर !
लेकिन घर की चार दीवारी के
 बाहर तक ही 
क्यूंकि
घर में प्रवेश मिलता है सिर्फ
बिना सर वाली स्त्रियों को ही..

कुछ ऐसे भी हैं
बिना सर के
वे न स्त्री है न पुरुष है !

नपुसंक है वे
आसुरी प्रवृत्ति रखते हैं  !
रोंदते हैं अपनी ही क्यारियों को
उजाड़ते हैं अपने ही आसरों को !

कैसा ये खेल है सूत्रधार का...
क्या वह भी मुस्कुराता है !

जब खेल देखता है
इन बदलते सिरों का ,
उगे सिरों को उतरने का ,
 अपने कदमों तले
रोंदते अपने ही सिरों को !

यह भी तो हो सकता है
पात्र अपने सूत्रधार की
 पटकथा से परे
अपनी मर्ज़ी के किरदार अदा करते हों !

और सूत्रधार ठगा सा,
हैरान सा
रह जाता है देखता !

















4 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-02-2016 को वैकल्पिक चर्चा मंच पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और कैलाश नाथ काटजू में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज बृहस्पतिवार (18-02-2016) को "अस्थायीरूप से चर्चा मंच लॉक" (वैकल्पिक चर्चा मंच अंक-2) पर भी होगी।
    --
    मित्रों।
    सात वर्षों से प्रतिदिन अनवरतरूप से
    ब्लॉगों की अद्यतन प्रविष्टियाँ दिखा रहे
    आप सब ब्लॉगरों की पहली पसन्द "चर्चा मंच" को
    किसी शरारती व्यक्ति की शिकायत पर अस्थायीरूप से
    लॉक किया गया है। गूगल को अपील कर दी गयी है।
    तब तक आपके लिंकों का सिलसिला यहाँ
    "वैकल्पिक चर्चा मंच" पर जारी रहेगा।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत ही सुंदर तरीके से आपने कटु सत्य को रचना का रूप दिया है.

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