कर रहना है तो
क्यूँ ना मधुर याद ही
बन कर रहूँ ..!
जब याद तुम्हें आऊं
और तुम मुस्कुरा दो
फिर क्यूँ न
तुम्हरे होठो की मुस्कान
बन के ही रहूँ ...
मैं आंसूं बन के क्यूँ रहूँ
कि तुम मुझे याद करो
और मैं
तुम्हे आँखों ही से गिर पडूँ....
मैं हूँ तुम्हारे साथ
आँखों में तुम्हारी
चमक बन के
आईना निहारो जब भी तुम
और मैं
मधुर याद की तरह
तुम्हारे होठो पर मुस्कराहट बन
खिली रहूँ ...
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : घिर आए हैं ख्वाब
जीना हैतो मधुर याद बन कर जीना ही अच्छा ... प्रेम तो यही कहता है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता है। भावपूर्ण है।
ReplyDeleteमेरी कविताएं पढें http://manishpratapmpsy.blogspot.com पर पधारें ।
बहुत अच्छी कविता है। भावपूर्ण है।
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