Wednesday, 3 February 2016

जब याद तुम्हें आऊं और तुम मुस्कुरा दो

जब तुम्हारी याद ही बन

कर रहना है तो


क्यूँ ना मधुर याद ही


बन कर रहूँ ..!


जब याद तुम्हें आऊं 

और तुम मुस्कुरा दो 

फिर क्यूँ न 

तुम्हरे होठो की मुस्कान

बन के ही रहूँ ...

मैं आंसूं बन के क्यूँ रहूँ 

कि  तुम मुझे याद करो 

और मैं 

तुम्हे आँखों ही से गिर पडूँ....

 मैं हूँ तुम्हारे साथ 

 आँखों में तुम्हारी  

चमक बन के 

आईना निहारो जब भी तुम 

और  मैं 


मधुर याद की तरह

तुम्हारे होठो पर मुस्कराहट बन

खिली रहूँ ...

4 comments:

  1. जीना हैतो मधुर याद बन कर जीना ही अच्छा ... प्रेम तो यही कहता है ...

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  2. बहुत अच्छी कविता है। भावपूर्ण है।

    मेरी कविताएं पढें http://manishpratapmpsy.blogspot.com पर पधारें ।

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  3. बहुत अच्छी कविता है। भावपूर्ण है।

    मेरी कविताएं पढें http://manishpratapmpsy.blogspot.com पर पधारें ।

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