राम का
राम होना
आसान तो न था।
हर कोई
उर्मिला, कौशल्या ,
सुमित्रा के त्याग को सराहते ,
सीता पर हुए
अन्याय को है गाते.…
सीता को देख
लक्ष्मण रेखा के भीतर ,
हर कोई छटपटाता ,
राम के
मन के सागर में
लगा बाँध
राम किसे दिखाता ....
पुत्र राम सा हो ,
लेकिन
वर राम सा नहीं।
परन्तु क्यों ?
क्या इसलिए
कसौटी पर रखा
सीता को
अग्निपरीक्षा की
या दिया
सीता को वनवास।
राम के लिए भी
क्या आसान था !
मर्यादा का
बाँध बना कर
बंधन सा जीवन जीना।
जीवन जीना मर्यादा में
जैसे चलना था
कंटक पथ पर जैसे !
क्या सच में कठिन नहीं था
राम का राम सा होना !
राम होना
आसान तो न था।
हर कोई
उर्मिला, कौशल्या ,
सुमित्रा के त्याग को सराहते ,
सीता पर हुए
अन्याय को है गाते.…
सीता को देख
लक्ष्मण रेखा के भीतर ,
हर कोई छटपटाता ,
राम के
मन के सागर में
लगा बाँध
राम किसे दिखाता ....
पुत्र राम सा हो ,
लेकिन
वर राम सा नहीं।
परन्तु क्यों ?
क्या इसलिए
कसौटी पर रखा
सीता को
अग्निपरीक्षा की
या दिया
सीता को वनवास।
राम के लिए भी
क्या आसान था !
मर्यादा का
बाँध बना कर
बंधन सा जीवन जीना।
जीवन जीना मर्यादा में
जैसे चलना था
कंटक पथ पर जैसे !
क्या सच में कठिन नहीं था
राम का राम सा होना !
राम जैसा कोई हो सके तो बात ही क्या ... युगपुरुष होना आसान तो नहीं ...
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
राम जैसा कोई हो सके तो बात ही क्या ... युगपुरुष होना आसान तो नहीं ...
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
श्री राम नवमी की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (29-03-2015) को "प्रभू पंख दे देना सुन्दर" {चर्चा - 1932} पर भी होगी!
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर भाव-चित्रण
ReplyDeleteतभी तो वे पुरुषोत्तम कहलाये ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
जय श्रीराम!
सुंदर रचना...राम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं। राम विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे। राम की सच्ची पूजा उनके आचरण को समझने और सीखने में है।...राम नवमी की शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुंदर रचना...राम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं। राम विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे। राम की सच्ची पूजा उनके आचरण को समझने और सीखने में है।...राम नवमी की शुभकामनायें।
ReplyDeleteमर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं राम
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