Friday 8 September 2017

यह जिंदगी

यह जिन्दगी,
 बंधी है , सम्भाली सी 
एक नियत  दायरे में ,
या
खुल कर 
बिखरने को आतुर है ।

चुप रहें ,
बात करें ,
हंसे या
मुस्कुराएं....

सही राह 
चलते रहना है
या 
नई पगडंडियां भी
आजमाना है ।

यह जिंदगी,
बदहवास सी
भटकन ही तो है !
 ।

6 comments:

  1. यह जिंदगी,
    बदहवास सी
    भटकन ही तो है !बहुत सुन्दर

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/09/34.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  4. वाह्ह..बहुत सुंदर कविता👌

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  5. नई पगडंडिया भी
    आजमाना है....
    बहुत खूब...

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