सभी कुछ तो है
अपनी - अपनी जगह ,
सूरज
चाँद
सितारे
बादल !
फिर !
क्या खोया है !
हाँ !
कुछ तो खोया है।
या
सच में ही खो गया है !
कुछ पल थे
ख़ुशी के ,
पाये भी नहीं थे
कि
खो गए !
सपने से
दिखने वाले अब
दीखते हैं सपने में !
चमकते सितारों से
नज़र आते हैं बुझी राख से ....
खो गए हैं अब
वो स्वप्निल से पल !
अपनी - अपनी जगह ,
सूरज
चाँद
सितारे
बादल !
फिर !
क्या खोया है !
हाँ !
कुछ तो खोया है।
या
सच में ही खो गया है !
कुछ पल थे
ख़ुशी के ,
पाये भी नहीं थे
कि
खो गए !
सपने से
दिखने वाले अब
दीखते हैं सपने में !
चमकते सितारों से
नज़र आते हैं बुझी राख से ....
खो गए हैं अब
वो स्वप्निल से पल !
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-03-2016) को "शिव का ध्यान लगाओ" (चर्चा अंक-2274) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " खूंटा तो यहीं गडेगा - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletelovely poem
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeletePart time home based job, without investment "NO REGISTERTION FEES " Earn daily 400-500 by working 2 hour per day For all male and female more information write "JOIN" And Whatsapp us on this no. 9855933410
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