Tuesday 16 June 2015

मुस्कुराहटें छुपा देती है दिलों के राज़....

मुस्कुराइए !
कि मुस्कुराहटें
छुपा देती है दिलों के राज़।
बन सकते हैं अफ़साने
जिन बातों से
मुस्कुराहटें रोक देती हैं ,
लबों पर आती बात।
बिन कही बातें
कह जाती है
तो
कभी -कभी
बेबसी छुपा भी जाती है
ये मुस्कुराहटें।
देखिये बस

मुस्कुराते लबों को ही,
न झाँकिये आँखों में कभी
ये आँखे इन मुस्कुराहटों
राज़ भी खोल देती है
बस मुस्कुराइए और मुस्कुराते रहिये।

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना |

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  2. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति

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  3. वाह .. मुस्कुराने की वजह भी कितनी मुस्कुराहट ला देती है ...

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