कुछ शब्द
जो मात्र वाक्य ही होते हैं
वे कभी कभी
किसी के हृदय पर
इबारत बन कर
आयत या श्लोक से
लिख लिए जाते हैं ।
वे आयतें या श्लोक
हृदय को
कभी सुकुन देती ,
अहसास अपने पन का
जता जाती है
कभी बेगाना पन सा अहसास जता
उदास भी करती है....
जो मात्र वाक्य ही होते हैं
वे कभी कभी
किसी के हृदय पर
इबारत बन कर
आयत या श्लोक से
लिख लिए जाते हैं ।
वे आयतें या श्लोक
हृदय को
कभी सुकुन देती ,
अहसास अपने पन का
जता जाती है
कभी बेगाना पन सा अहसास जता
उदास भी करती है....
Bilkul sahi kaha aapne .... shabd-shabd pe hota hai ki usse mahsoos kya hota hai...bahut sunder abhivyakti !!
ReplyDeleteवाकई कुछ शब्द तो मात्र वाक्य ही होते हैं ....
ReplyDeleteलेकिन जब इबारत बन हृदय पर लिख लिए जाते हैं तो ....
हृदय इन वाक्य रूपी श्लोकों की टीका (भावार्थ) अनेक प्रकार से करता है....
शब्द तो वही रहते हैं लेकिन भावर्थों के ज्वार भाटे मे कभी अपनापन तो कभी बेगानापन महसूस होता है .....
हृदय तो हृदय है, जो करता है उसे करने देना चाहिये !
इस सुंदर रचना के लिए शुभकामनायें !
शब्द तो शब्द ही रहते हैं मन के भावों अनुसार अर्थ बदलते रहते हैं ...
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