तुम्हारे प्यार को मैंने
पिंजरे में बंद कर
पाला चिड़िया की तरह
बरसों तक आशा के दाने ,
भ्रम का पानी पिलाती रही
कि तुम कभी तो आओगे ...
यूँ ही तुम्हारे अहसाह को
अपने आस-पास रेशमी तारों
का जाल सा बुनती रही ...
कर दिया मुक्त
लो आज मैंने आज
इस चिड़िया को
उड़ा दिया दूर गगन में....
लेकिन
मैंने परों में थोड़े से रेशमी
तार भी उलझा दिए है ,
क्यूँ कि
मेरे पास अभी भी कुछ आशा के
दाने और भ्रम का पानी बचा है .
पिंजरे में बंद कर
पाला चिड़िया की तरह
बरसों तक आशा के दाने ,
भ्रम का पानी पिलाती रही
कि तुम कभी तो आओगे ...
यूँ ही तुम्हारे अहसाह को
अपने आस-पास रेशमी तारों
का जाल सा बुनती रही ...
कर दिया मुक्त
लो आज मैंने आज
इस चिड़िया को
उड़ा दिया दूर गगन में....
लेकिन
मैंने परों में थोड़े से रेशमी
तार भी उलझा दिए है ,
क्यूँ कि
मेरे पास अभी भी कुछ आशा के
दाने और भ्रम का पानी बचा है .
बेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमधुर रचना
आस है..जाती नहीं. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अनुपम भावों को संयोजित किया है आपने सहजता से
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना , आ. धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 18 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteसुन्दर सृजन अहसास के कलम से उम्मीद की रौशनी
ReplyDeleteबहुत सुंदर अहसास
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ...
ReplyDeletePrem ho to ummeedein barkaraar rahti hain...!!bahut lajawb!!
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