तुम्हारा
एक नाम रखूं ?
क्या नाम रखूं
तुम्हारा !
प्रेम !
नहीं तुम्हारा नाम प्रेम नहीं !
वो प्रेम ही क्या
जो छुपाया जाये।
नफरत !
नहीं नफरत भी नहीं !
मेरे शब्दकोष में
यह शब्द ही नहीं है।
इंतज़ार !
नहीं इंतज़ार भी नहीं !
साथ रहने वालों का
कैसा इंतज़ार।
धोखा !
हाँ तुम धोखा ही हो ,
छलिया हो ,
भ्रम ही तो हो
यही नाम रखूंगी तुम्हारा।
जिक्र होगा जब कभी
धोखे का
तुम्हारा ही नाम आएगा
भ्रम में रहेगा सारा संसार
और हर बार छला जायेगा।
एक नाम रखूं ?
क्या नाम रखूं
तुम्हारा !
प्रेम !
नहीं तुम्हारा नाम प्रेम नहीं !
वो प्रेम ही क्या
जो छुपाया जाये।
नफरत !
नहीं नफरत भी नहीं !
मेरे शब्दकोष में
यह शब्द ही नहीं है।
इंतज़ार !
नहीं इंतज़ार भी नहीं !
साथ रहने वालों का
कैसा इंतज़ार।
धोखा !
हाँ तुम धोखा ही हो ,
छलिया हो ,
भ्रम ही तो हो
यही नाम रखूंगी तुम्हारा।
जिक्र होगा जब कभी
धोखे का
तुम्हारा ही नाम आएगा
भ्रम में रहेगा सारा संसार
और हर बार छला जायेगा।
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 25 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteसचमुच.....बहुत सुंदर....
ReplyDeleteहालात तो यही हो गये हैं कि भ्रम में रहता है हर कोई ....
ReplyDeleteआपकी रचना में मैं तो खो जाती हूँ
ReplyDeleteBahut Umda
ReplyDeleteपर पूजता रहेगा रहेगा तुम्हें यह कहकर कि 'तुहरा क्या गया जो रोते हो'
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशायद आपने सही नाम चुना !दुनिया में सभी भ्रम में जी रहे हैं |
ReplyDeleteमैं
Happy Birth Day "Taaru "
धोखा है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता !
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी !
लाज़वाब...बहुत ख़ूबसूरत रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर मृगमरीचिका
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता |
ReplyDeleteइस जहां में स्वयं अपने ही मन से बड़ा छलिया और कोई नहीं है। सुंदर रचना।
ReplyDeleteअति सुंदर प्रस्तुती उपासना जी !!!
ReplyDeleteकैसी कशमकश !
ReplyDeleteअपने ही धोखा देते है छलते क्योकि वही तो पास होते हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteउत्कृष्ट !
ReplyDeleteयही रिश्तों के ताने-बाने हैं.
ReplyDeleteबहुतसुंदर
ReplyDeleteचाहे भ्रम ही हो तुम पर हो बडे सुंदर।
ReplyDeleteसुन्दर कविता.
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteपहचाना तो है चोखा ....
ReplyDeleteनाम छलिए का बिल्कुल सही है, धोखा ! ....
शुभकामनायें ....
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteBahut sunder prastutikaran.....!! Accha naam hai !!
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