हर रोज़
एक नन्हीं सी चिड़िया
मेरी खिड़की के शीशे से
अपनी चोंच टकराती है ,
खट-खट की
खटखटाहट से चौंक जाती हूँ मैं ,
मानो कमरे के भीतर
आने का रास्ता ढूंढ रही हो ,
उसकी रोज़ -रोज़ की
खट -खट से सोच में पड़ जाती हूँ मैं ,
वह क्यों चाहती है
भीतर आना
अपने आज़ाद परों से परवाज़
क्यों नहीं भरती
क्या उसे आज़ादी पसंद नहीं !
कोई भी तो नहीं उसका यहाँ
बेगाने लोग , बेगाने चेहरे
क्या मालूम
कहीं कोई बहेलिया ही हो भीतर !
जाल में फ़ांस ले ,
पर कतर दे !
वह हर रोज़ आकर
शीशे को खटखटाती है या
मोह-माया के द्वार को खटखटाती है
उसे नहीं मालूम !
मालूम तो मुझे भी नहीं कि
चोंच की खट -खट से
शीशे पर निशान उभरे हैं
या मेरे हृदय पर
मैं नहीं चाहती उसका भीतर आना
पर चिड़िया की खटखटाहट और
मेरे हृदय की छटपटाहट अभी भी जारी है !
एक नन्हीं सी चिड़िया
मेरी खिड़की के शीशे से
अपनी चोंच टकराती है ,
खट-खट की
खटखटाहट से चौंक जाती हूँ मैं ,
मानो कमरे के भीतर
आने का रास्ता ढूंढ रही हो ,
उसकी रोज़ -रोज़ की
खट -खट से सोच में पड़ जाती हूँ मैं ,
वह क्यों चाहती है
भीतर आना
अपने आज़ाद परों से परवाज़
क्यों नहीं भरती
क्या उसे आज़ादी पसंद नहीं !
कोई भी तो नहीं उसका यहाँ
बेगाने लोग , बेगाने चेहरे
क्या मालूम
कहीं कोई बहेलिया ही हो भीतर !
जाल में फ़ांस ले ,
पर कतर दे !
वह हर रोज़ आकर
शीशे को खटखटाती है या
मोह-माया के द्वार को खटखटाती है
उसे नहीं मालूम !
मालूम तो मुझे भी नहीं कि
चोंच की खट -खट से
शीशे पर निशान उभरे हैं
या मेरे हृदय पर
मैं नहीं चाहती उसका भीतर आना
पर चिड़िया की खटखटाहट और
मेरे हृदय की छटपटाहट अभी भी जारी है !
निशाँ शीशे पर या दिल पे !
ReplyDeleteचिड़िया को आने नहीं देने की छटपटाहट!
हृदयस्पर्शी !
सुन्दर गंभीर और फड़फ़ड़ाहत से भरी प्रस्तुति
ReplyDeletekhoobsurat....
ReplyDeleteBahut Hi Sunder....Marmaparshi
ReplyDeleteबढ़िया लेखन व रचना . आ. उपासना जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteभावपूर्ण
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteछटपटाहट की खुबसूरत अभिव्यक्ति .... उम्दा रचना
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 3/08/2014 को "ये कैसी हवा है" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1694 पर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDelete: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
नई पोस्ट माँ है धरती !
भावनायों का सम्वेग चिडिया के रूप मे कागज़ पर उतर आया1 बहुत सुन्दर्1
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर
ReplyDeleteChatpatahat nhi jaati....bhaaawpurn..marmsparshi rachna..!!
ReplyDeleteचिडिया को आपके घर के अंदर एक आशियाने की तलाश है...,सुंदर कविता..
ReplyDeleteइसे पढ कर मुझे भी अपनी एक छोटी सी कविता याद आ गयी..:)