हाथ में लकीरें है
कितनी सारी
छोटी-बड़ी,
बारीक,
बारीक से भी महीन !
जीवन रेखा
दिल की रेखा
दिमाग की रेखा
और
किस्मत वाली रेखा भी !
एक रेखा भी है
तुम्हारे नाम की |
जो उँगलियों के पोरवों से
फिसलती हुई
जीवन रेखा
दिल की रेखा
दिमाग की रेखा
और
किस्मत की रेखा से
मणिबन्ध में
आकर रूकी है |
थामे रहती है
कलाई मेरी
धड़कती है मेरे हर
ह्रदय के स्पंदन में |
जीती हूँ हर पल तुम्हें
हर धड़कते स्पंदन में
तुम्हारे होने का अहसास में |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार जून 13, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 12/06/2019 की बुलेटिन, " १२ जून - विश्व बालश्रम दिवस और हम - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने!!!
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !
सुन्दर रचना
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