Monday 6 July 2015

तुम रूक गए हो बुकमार्क की तरह....

जिन्दगी की किताब के
हरेक पन्ने पर
सुंदर हर्फो से लिखी है
कितनी ही इबारतें
कदम अक्सर
ठिठक ही जाते हैं
किताब के उस पन्ने पर
जहाँ तुम रूक गए हो
बुकमार्क की तरह....


4 comments:

  1. आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (08-07-2015) को "मान भी जाओ सब कुछ तो ठीक है" (चर्चा अंक-2030) पर भी होगी!
    --
    सादर...!

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  2. बहुत खूब ... उए बुकमार्क नहीं साँसें हैं जीवन की संजीवनी ...

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  3. यादें ही हैं जो जीवन में बुकमार्क बन जाती हैं । बहुत सुंदर ।

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