Saturday, 28 July 2012

सुनो ...!!


सुनो ...!!
एक बार चले आओ ,
जरा एक बार सिर्फ एक बार
मुड़ के तो देखो ....
मैं अभी भी तुम्हारी राह ताक
रही हूँ ,
अपनी पलकें बिछाए .........
तुम्हारे बिन सूना-सूना है  सब,
जीने का अर्थ ही क्या रह जायेगा
तुम बिन ,मेरा ........
लेकिन ,प्रिय ...!!
ये तो मैंने कहा ही नहीं तुमसे
फिर क्यूँ तुम मुड़ के मेरी
बेचारगी की प्रतीक्षा कर रहे हो .....
जाओ तुम्हारा पथ ,
तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है ,
अगर तुम सूरज को साथ ले कर
चलते हो ,
तो मेरे पास भी
एक छोटा सा दीपक है , जो
मुझे मेरी मंजिल तक
राह दिखलायेगा .............

8 comments:

  1. बहुत सुंदर सखी .....मेरे पास भी एक छोटा सा दीपक है .....

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  2. चलते हो ,
    तो मेरे पास भी
    एक छोटा सा दीपक है , जो
    मुझे मेरी मंजिल तक
    राह दिखलायेगा .............

    वाह,,,,बहुत बढ़िया रचना,,,,उपासना जी,,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  3. अगर तुम सूरज को साथ ले कर
    चलते हो ,
    तो मेरे पास भी
    एक छोटा सा दीपक है , जो
    मुझे मेरी मंजिल तक
    राह दिखलायेगा .............

    मै साथ चलू दीये की रोशनी में कभी भूल जाऊं राह हमसफ़र बन जाना

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .......

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  5. सुन्दर अभिव्यक्ति है ज़रूर एक छोटा दिया भी प्रकाश देता है।

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