कभी -कभी खाली
घर भी बोलने लग जाता है ,
सुन कर देखा है कभी ...!
दरवाज़े ,दीवारें और
बंद अलमारियां भी
गुनगुनाने लग जाती है .....
दरवाज़ों पर होली से रंगे ,
नन्हे - नन्हे हाथ
थपथपाने लग जाते हैं ....
अलमारी में रखी ,
छोटी सी थाली ,कटोरी ,
गिलास और चम्मच के
साथ खनखनाने लग जाती है ...
परछत्ती से कुछ खिलौने
झाँकने लगते है ...
छोटा सा बन्दर मुहं चिढाता है तो
एक छोटी सी लाल रंग की कार
आगे से सर्र से निकल जाती है ....
और कभी "टिप -टिप ,चियू -चियू ..."
की जूतों में से आती
आवाज़ की आहट पर
पीछे मुड़ कर देखो तो ,
नज़र आते हैं दो डगमगाते ,
नन्हे -नन्हे कदम
और अपनी ओर बाहें फैलाते
दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
और गूंज उठती है किलकारियां .......
कभी सुन कर देखो ,
खाली घर भी बोल उठते है
कभी - कभी .....
दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
ReplyDeleteऔर गूंज उठती है किलकारियां .......
कभी सुन कर देखो ,
खाली घर भी बोल उठते है
कभी - कभी .....
बच्चों के बगैर घर सूना सूना लगता है,,,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..
और कभी "टिप -टिप ,चियू -चियू ..."
ReplyDeleteकी जूतों में से आती
आवाज़ की आहट पर
पीछे मुड़ कर देखो तो ,
नज़र आते हैं दो डगमगाते ,
नन्हे -नन्हे कदम
और अपनी ओर बाहें फैलाते
दो प्यारे -प्यारे हाथ .,
और गूंज उठती है किलकारियां .......
कभी सुन कर देखो ,
खाली घर भी बोल उठते है
कभी - कभी .....
beautiful lines
जब भी इन बच्चों के कमरे में जाओ एक आणखी ही अनुभूति होती है ....बहुत सुंदर उपासना सखी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्यारी रचना...
ReplyDeleteबच्चों की किलकारियों से घर आँगन खिल उठता है..
जन्माष्टमी की शुभकामनाये...
:-)