Sunday 15 October 2023

इंतज़ार और अभी..

रोज़ चाँद को निहारना 
उसका इंतजार करना 
जैसे तुम्हारे  आने की ही 
 राह  ताकना 

जिस दिन 
चाँद नहीं आता 
फिर भी वो दिशा निहारती हूँ
 उस  दिन ,
मालूम है यहाँ नहीं तो 
कहीं न कहीं तो निकला ही होगा 
चाँद ,
दुनिया का कोई तो कोना  
उसकी चांदनी से रोशन तो होगा ही 

तुम भी चाँद की तरह ही तो हो 
ना मालूम ,
मैं 
चाँद की राह ताकती हूँ या
 तुम्हारी  ,
चंद्रमा  की बढती-घटती  कलाओं के साथ 
झूलती रहती हूँ 
आशा -निराशा का हिंडोला ,
फिर भी वो दिशा निहारती हूँ 
जिस राह  से तुम कभी नहीं आओगे 
चाँद तो अमावस के बाद आता है 
और तुम ! 
शायद  हाँ ?
पर शायद नहीं ही आओगे 
फिर भी चाँद के साथ 
इंतजार तो करती ही हूँ  ....

Thursday 26 January 2023

लोकतंत्र

एक लोकतंत्र चलता है

 मेरे घर में भी 
 ,
यहाँ भी राज अम्माजी का

और नाम पिता जी का चलता है ...


मैंने अपने उनको 

चुन कर 

अपने सर पर बैठा रखा है 


बच्चे भी 

विपक्ष की भूमिका खूब 

निभाते हैं,


बार -बार बॉय -काट 

की धमकी देते है !


..........
और मैं !


 बेचारी जनता की तरह 

कुछ शंकित -आशंकित 

थोड़ी भ्रमित सी 
,
कभी अन्ना की तरह 


अनशन करती

डोलती रहती हूँ 
 ,
पक्ष -विपक्ष के बीच में !



लेकिन 

मेरे  इस लोक तंत्र में

 खुशियाँ ही खुशियाँ है ,

हंसी और खिलखिलाहटे भी है !

 .................
 किये गए सभी वायदे


पूरे किये जाते है 


यहाँ जनता से ,

और विपक्ष भी सत्ता 

के आगे सर झुकाए रहता है !


 ...........
यहाँ  फायदा नहीं उठाता


कोई किसी का

मेरे इस लोक तंत्र में राज 


जनता का ही 

चलता है !