Sunday 29 June 2014

चेहरे पर वक्त की खरोंच लिए

कोई अब भी
 फिक्रमंद चेहरा
ग़मज़दा सा ,
एक दहशत
दिल में लिए घूमता है।

अभी भी तलाश है उसे अपनों की
पहाड़ पर खड़ा है वह ,
आस ले कर
पहाड़ से भी ऊँची।

है असमंजस  में वह ,
व्याकुल -व्यथित सा ,
किससे मांगे
और
क्या मांगे जवाब ,
जब चोट दी हो
मरहम लगाने वाले ने ही।

ढूंढता है पत्थरों में निशानियाँ
पूछता है पत्थर बने
ईश्वर को
चेहरे  पर वक्त की खरोंच लिए।



Monday 16 June 2014

मुस्कुराहटें छुपा देती है दिलों के राज़

मुस्कुराइए !
कि मुस्कुराहटें
छुपा देती है दिलों के राज़।

बन सकते हैं अफ़साने
जिन बातों से
मुस्कुराहटें रोक देती हैं ,
लबों पर आती बात।

बिन कही बातें
कह जाती है
तो
कभी -कभी
बेबसी छुपा भी जाती है
ये मुस्कुराहटें।

देखिये बस
मुस्कुराते लबों को ही,

न झाँकिये आँखों में कभी
ये आँखे इन मुस्कुराहटों
राज़ भी खोल देती है
बस मुस्कुराइए और मुस्कुराते रहिये।



तेरी याद है मय की मानिंद...

जिंदगी जैसे
बियाबान जंगल सी ,
भटकती अंधेरों की
अनजान राहों में
 तलाशती  पगडंडियां।

जिंदगी जैसे
रेत के सहरा सी ,
तपते -दहकते रेत  के शोलों पर
तलाशती एक बूंद पानी।

बस एक  तेरा नाम
तेरी याद  है
मय की मानिंद।

डूबी है जिंदगी
तेरी याद के सुरूर में
मिलती  जाती है
मंज़िल खुद -ब -खुद ही।

Sunday 8 June 2014

तू ख़ुश रहे सदा ..



दुआ दिल से दी
लब  ख़ामोश रहे तो क्या।

आँखे बंद किये
दीदार कर लिया
जिस्म दूर रहे तो क्या।

ख़ुशी में हो या हो ग़म
याद आते हैं
दूर जाने वाले
दिल ही दिल में महसूस कर लिया
छू ना पाये तो क्या।

महफ़िल में मुस्कुराये
छुप कर आंसूं बहाये तो क्या।

ओ  बेख़बर
तू ख़ुश रहे सदा
हम इस जहां से चले जाये तो क्या।