कान्हा ,
तुमने कहा था ....
जब भी धर्म की हानि होगी ,
मैं इस धरा पर आऊंगा ...
पर तुम हो कहाँ पर
नज़र ही नहीं आते ........
अगर आग्रह मानो मेरा ,
अब तुम धरा पर मत आना ...
बन पंगु इंसान
कब तक ,
आखिर कब तक
किसी अवतार का तकेगा सहारा ......
तुम क्यूँ नहीं हर इन्सान में
हिम्मत और प्रेरणा
बन समा जाते ......
द्रोपदी का चीर तो बढाया ,
पर 'का-पुरुषों' के
विरुद्ध
शस्त्र उठाना नहीं सिखाया
अब हर युग में द्रोपदी ,
तुम्हारा ही सहारा तकती है ...
तुम क्यूँ नहीं दामिनी सी
शक्ति बन समा जाते हर नारी में ...
अब तुम धरा पर मत आना ,
आना तो बस विचार बन
कर ही अवतरित होना ........
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा आपकी पोस्ट सराहनीय है सुन्दर अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ BHARTIY NARI
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा आपकी पोस्ट सराहनीय है सुन्दर अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ BHARTIY NARI
ReplyDeleteविश्व में फैली अशांति के प्रति मन के उहापोह का सुन्दर विश्लेषण
ReplyDeleteअब हर युग में द्रोपदी ,
ReplyDeleteतुम्हारा ही सहारा तकती है ...
तुम क्यूँ नहीं दामिनी सी
शक्ति बन समा जाते हर नारी में ......
वाह कितना सुन्दर ख्याल है .....साभार !
बहुत सुंदर और आजकल का सच लिखा उपासना सखी ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बात कही....
ReplyDeleteकान्हा तुम शक्ति बन आना....
शुभकामनाएं उपासना जी.
अनु
द्रोपदी का चीर तो बढाया ,
ReplyDeleteपर 'का-पुरुषों' के विरुद्ध
शस्त्र उठाना नहीं सिखाया ...
अब हर युग में द्रोपदी ,
तुम्हारा ही सहारा तकती है ...
....बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति...