आओ आज फिर से
जिन्दगी की किताब लिखें ...
सुंदर से सुनहरे -रुपहले पन्नो
से सजी जिन्दगी की किताब के पन्ने,
अब उलझनों की सिलवटों
से मुरझायेगे नहीं .....
ना ही आंसुओं से गीले हो कर अपना
रूप बिगाड़ेंगे....
ना ही कहीं यादों के सूखे गुलाब ही
मिलेंगे किसी पन्ने के बीच में ....
ये किताब ही गुलाबों की तरह
महकेगी अब तो ........
अब किसी याद की टीस बयां करता
कोई कोना मुड़ा हुआ नहीं मिलेगा ......
हर पन्ना आज को ही बयान करेगा ,
बीते कल की कोई बात नहीं होगी ......
मटमैले -धूसर रंगों की अब यहाँ कोई
जरूरत नहीं है ....
एक आसमानी रंग जो आँखों में सपने
की तरह पलता रहा है उसी पर
सभी सपनो को सच करती ,
जिन्दगी की किताब फिर से लिखेंगे .....
बीती ताही बिसार दे ...कहती हुई सुंदर रचना ...
ReplyDeleteउपासना जी सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....उपासना सखी.....काश ऐसा सच में हो पाए
ReplyDeleteसुन्दर और खुबसूरत अहसास लिए
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..
खुबसूरत अहसासों की अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,,,
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