ये बदली -बदली तस्वीर
तुम्हारी, मुझे खूब भाती है
मुख पर खिली -खिली मुस्कान ,
आँखों मे चमक एक विश्वास की,
के अब पीछे मुड़ कर नहीं देखना .......
खुली खिडकियों से महकी हवा में
सांस लेने लगी हो ,.......
धुंए के बहाने अपने आंसू और
अरमानो को अब कहाँ बहने देती हो ,
तुम्हारा, आँखों में आत्मविश्ववास की चमक
और मुस्कान को लिए ,बहारों को अपने
बस में लिए चलना मुझे खूब भाता है ........
तुम्हारी, मुझे खूब भाती है
मुख पर खिली -खिली मुस्कान ,
आँखों मे चमक एक विश्वास की,
के अब पीछे मुड़ कर नहीं देखना .......
खुली खिडकियों से महकी हवा में
सांस लेने लगी हो ,.......
धुंए के बहाने अपने आंसू और
अरमानो को अब कहाँ बहने देती हो ,
तुम्हारा, आँखों में आत्मविश्ववास की चमक
और मुस्कान को लिए ,बहारों को अपने
बस में लिए चलना मुझे खूब भाता है ........
चाहत इसी का नाम है शायद
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