मैंने जब भी तुमको पुकारा
तुम मौन तो नहीं रहे कभी .....
पर आज मेरे पुकारने पर तुम ,
मौन ही रहे .....
तुम्हारा मौन रहना मुझे
अखर गया ,
पर
तुमसे ज्यादा तो तुम्हारा
मौन ही मुखर
हो कर बोलता रहा .......
और
मैं सुनती रही पलकें नम
किये .....
तुम्हारे जाने के बाद
खुद को
तुम्हारे मौन ,
और तुम्हारे अहसास से
ही घिरा पाया ...........
बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteamazing feelings.....
ReplyDeleteतुमसे ज्यादा तो तुम्हारा
ReplyDeleteमौन ही मुखर
हो कर बोलता रहा .......
और
मैं सुनती रही पलकें नम
किये .....
मौन की भाषा मौन ही जाने... खूबसूरत अहसास
मौनं सम्मति लक्ष्णम्।
ReplyDeleteसुंदर भाव लिये करुणमय प्रस्तुती...
ReplyDeleteमौन मुखरित होता है तो शब्द कम पड़ जाते हैं
ReplyDeleteतुम्हारे जाने के बाद
ReplyDeleteखुद को
तुम्हारे मौन ,
और तुम्हारे अहसास से
ही घिरा पाया ...........
बहुत सुंदर प्रस्तुती,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
मुखरित मौन ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकभी कभी मौन की चीख गूंजती रहती है कानों में देर तक ... खत्म नहीं होता इसका एहसास ...
ReplyDeleteमौन ही तोड़ देता है कई बार ....बहुत सुंदर
ReplyDeleteख़ामोशी ही है बेहतर संवाद है हमारे बीच शायद....
ReplyDeleteमौन हूँ इसलिए,
वरना उठती तो है हूक रह रह कर, कि पुकारूँ तुम्हे और कुछ कहूँ .....
नहीं नहीं जरूरत नहीं....
जब सुन तो लेती हो तुम मौन मेरा ....
Sahi kaha...shukriya
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