Sunday, 22 July 2012

तुम्हारा मौन ......


मैंने जब भी तुमको पुकारा
 तुम मौन तो नहीं रहे कभी .....
पर आज मेरे पुकारने पर तुम ,
मौन ही रहे .....
 तुम्हारा मौन रहना मुझे
अखर गया ,
पर
तुमसे ज्यादा तो तुम्हारा
मौन ही मुखर
हो कर बोलता रहा .......
और
मैं सुनती रही पलकें नम
किये .....
तुम्हारे जाने के बाद
खुद को
तुम्हारे मौन ,
और तुम्हारे अहसास से
ही घिरा पाया ...........

13 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति...

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  2. तुमसे ज्यादा तो तुम्हारा
    मौन ही मुखर
    हो कर बोलता रहा .......
    और
    मैं सुनती रही पलकें नम
    किये .....
    मौन की भाषा मौन ही जाने... खूबसूरत अहसास

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  3. मौनं सम्मति लक्ष्णम्।

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  4. सुंदर भाव लिये करुणमय प्रस्तुती...

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  5. मौन मुखरित होता है तो शब्द कम पड़ जाते हैं

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  6. तुम्हारे जाने के बाद
    खुद को
    तुम्हारे मौन ,
    और तुम्हारे अहसास से
    ही घिरा पाया ...........

    बहुत सुंदर प्रस्तुती,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,

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  7. मुखरित मौन ... सुंदर अभिव्यक्ति

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  8. कभी कभी मौन की चीख गूंजती रहती है कानों में देर तक ... खत्म नहीं होता इसका एहसास ...

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  9. मौन ही तोड़ देता है कई बार ....बहुत सुंदर

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  10. ख़ामोशी ही है बेहतर संवाद है हमारे बीच शायद....
    मौन हूँ इसलिए,
    वरना उठती तो है हूक रह रह कर, कि पुकारूँ तुम्हे और कुछ कहूँ .....

    नहीं नहीं जरूरत नहीं....
    जब सुन तो लेती हो तुम मौन मेरा ....

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