Friday, 18 May 2012
हौसलों को उडान
जब -जब मन हारा है तो कोई है,
जो अपना स्नेहिल स्पर्श
सर पर सहला कर हौसला
बढ़ा देता है .......
और वह स्पर्श पाकर मेरा कुम्हलाया
हुआ मन फिर से लहलहा उठता है .....
और फिर से ये लहलहाता मन
कल्पना के सहारे शब्दों की उडान
भरने लगता है ....
इस मन की उड़ान के परों को सहारा
देने वाला और कौन है ,
एक वही है ,जो हमें प्राण-वायु
दे कर जीवन देता है ....
और हौसलों को उडान भी ......
Wednesday, 16 May 2012
प्रेम करने वाले एक-दूसरे को भूल जाते हैं ....
प्रेम में बिछुड़ जाने वाले
अक्सर कहा करते हैं
नहीं याद करते हैं अब
उस बेफवा को
भुला दिया है हमने
भुला दिया है हमने
गुजर जायेंगे अजनबियों की तरह ...
कितनी भी कसम क्यूँ न खाई जाये
तलाशे जाते हैं वे सूखे फूल
जो डायरी में रखे थे कभी
उसी बेवफा ने दिए थे ....
जो डायरी में रखे थे कभी
उसी बेवफा ने दिए थे ....
जिस प्यार के रंग से रंगे थे
वो रंग इद्रधनुष में भी ढूंढा
करते हैं ...
अक्सर सागर किनारे की
लहरों में सीप ढूंढते हुए
अपना नाम भी तलाशते हैं
जहां अपना नाम लिखा था
साथ-साथ ..........
वो रंग इद्रधनुष में भी ढूंढा
करते हैं ...
अक्सर सागर किनारे की
लहरों में सीप ढूंढते हुए
अपना नाम भी तलाशते हैं
जहां अपना नाम लिखा था
साथ-साथ ..........
और कहते हैं भुला दिया है हमने उसको ,
तो नयनो में जो चमकता है
उसका नाम लेने पर वह क्या है ,
यह शायद वो भी नहीं जानते ......
उसका नाम लेने पर वह क्या है ,
यह शायद वो भी नहीं जानते ......
पर वे एक दूसरे को भूल तो जाते
ही है ....
शायद .........Sunday, 13 May 2012
Wednesday, 9 May 2012
बात जरा सी है.......
बात जरा सी है और
समझ नहीं आती ...
जब एक माँ अपनी
बेटी को दुपट्टा में इज्ज़त
सँभालने का तरीका
समझाती है ,
तो वह अपने बेटे को
राह चलती किसी की
बेटी की इज्ज़त करना
क्यूँ नहीं सिखलाती ....
बात जरा सी है और
समझ नहीं आती...
जब एक माँ अपने बेटे
की हर चीज़ सहेज कर
रखती है तो उसकी
पत्नी ,जो बेटे को बहुत
प्रिय होती है उसकी
अनदेखी क्यूँ करती है .....
Monday, 7 May 2012
मुझे तुम याद आये
तुम्हारा नाम भूलने की
बहुत सी वजह है मेरे पास
पर जब -जब तुम्हारे
शहर का नाम आया तो
मुझे तुम याद आये ...

अपनी जुबां पर ना लाने
की बहुत सी वजह है
मेरे पास, पर जब-जब
तुम्हारा गाया गीत
गुनगुनाया तो मुझे
तुम याद आये ...
तुम्हारे वजूद को भूलने
की बहुत सी वजह है मेरे
पास पर जब-जब आईना
निहारा आँखों में तुम नज़र
आये तो मुझे तुम
बहुत याद आये ..............
Saturday, 5 May 2012
उसका इंतज़ार
सुबह-सवेरे ही जब उसका
ख़याल आता है तो मुख
पर मुस्कान और डर
एक साथ आ जाता है .
....
मुस्कान उसके आने के लिए
और डर उसके इंतजार के लिए ..
हर आहट में चौंक जाती हूँ ,
आँखे दरवाजे पर बिछाये बैठी
रहती हूँ उसके दीदार की चाहत में ...
कभी कड़ी धूप में भी सूनी राह
ताकते हुए उसका इंतज़ार करती
रहती हूँ ..
......
इंतज़ार की घड़ियाँ जब खत्म होती
है और उसकी एक झलक दिख जाती
तो मेरा मन करता है उसको पूजा की
थाली दिखाऊं या फूलो का हार पहनाऊं ,
पर मैं तो झाड़ू ही उठा लाती हूँ
और उसको पकड़ाते हुए,जैसे मुहं में
जैसे मिश्री घुली हुई हो ,बोल पड़ती हूँ
जा जल्दी से झाड़ू लगा ,मैं कडक सी
चाय बनाती हूँ तेरे लिए ......
ख़याल आता है तो मुख
पर मुस्कान और डर
एक साथ आ जाता है .
....
मुस्कान उसके आने के लिए
और डर उसके इंतजार के लिए ..
हर आहट में चौंक जाती हूँ ,
आँखे दरवाजे पर बिछाये बैठी
रहती हूँ उसके दीदार की चाहत में ...
कभी कड़ी धूप में भी सूनी राह
ताकते हुए उसका इंतज़ार करती
रहती हूँ ..
......
इंतज़ार की घड़ियाँ जब खत्म होती
है और उसकी एक झलक दिख जाती
तो मेरा मन करता है उसको पूजा की
थाली दिखाऊं या फूलो का हार पहनाऊं ,
पर मैं तो झाड़ू ही उठा लाती हूँ
और उसको पकड़ाते हुए,जैसे मुहं में
जैसे मिश्री घुली हुई हो ,बोल पड़ती हूँ
जा जल्दी से झाड़ू लगा ,मैं कडक सी
चाय बनाती हूँ तेरे लिए ......
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