Wednesday, 9 May 2012

बात जरा सी है.......


बात जरा सी है और
 समझ नहीं आती ...
जब एक माँ अपनी 
बेटी को दुपट्टा में इज्ज़त 
 सँभालने का तरीका
 समझाती है ,
तो वह अपने बेटे को 
राह चलती किसी की 
बेटी की इज्ज़त करना 
क्यूँ नहीं सिखलाती ....

बात जरा सी है और
 समझ नहीं आती...
जब एक माँ अपने बेटे 
की हर चीज़ सहेज कर
 रखती है तो उसकी 
पत्नी ,जो बेटे को बहुत 
प्रिय होती है उसकी 
अनदेखी क्यूँ करती है .....

8 comments:

  1. जब एक माँ अपने बेटे
    की हर चीज़ सहेज कर
    रखती है तो उसकी
    पत्नी ,जो बेटे को बहुत
    प्रिय होती है उसकी
    अनदेखी क्यूँ करती है .....

    सटीक सार्थक बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई,...उपासना जी,...

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  2. sahi likha hai aap ne sakhi ......jyadatar aisa hi hota hai .....kuchh apwad bhi hain mujh jaise ...:))

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  3. बहुत सोने जैसी खरी बात कही है ...बहुत उम्दा ...सोचने वाली बात ...अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आना

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  4. शायद समझ का फेर है ... वर्ना माँ तो ऐसा नहीं चाहती ...
    सोचने वाली बात है ...

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  5. परिस्थितयां और वक़्त पर निर्भर है...एक माँ जो उम्र भर जिसका इंतज़ार करती है ऐसी तो कल्पना नहीं करती...कुछ तो कारण होगा...दुखद स्तिथि..

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  6. आपसे सहमत शत प्रतिशत....

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  7. बहुत ही सुन्दर कविता |

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  8. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

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