Monday, 8 October 2012

संयम


महाभारत का कारण 
अक्सर
 असंयमित वाणी 
और असंयमित आचरण 
ही होता है ........
शांतनु ने अगर काम पर 
संयम रखा होता 
तो क्या ,
देवव्रत को भीष्म होना 
पड़ता ...!
तब 
महाभारत की नीव ही नहीं
रखी जाती .......
गांधारी का भी तो आचरण 
असंयमित ही था ,
अगर 
अपने नेत्रों पर पट्टी 
ना बांधी होती 
तो क्या ,
उसकी संतान ऐसी 
कुसंस्कारी और दुष्कर्मी 
होती ,
ना ही महाभारत की 
सम्भावना होती .........
 अगर संयमित आचरण 
दुर्योधन ने भी किया होता 
तो  क्या ,
वह रिश्तों को तार - तार 
करता...!
और ना ही महाभारत होती ...
द्रोपदी को भी तो 
थोड़ा संयम अपनी वाणी 
पर रखना ही था......
आखिर असंयमित वाणी 
ही तो कारण होती है 
महाभारत का...

9 comments:

  1. महाभारत का कटु सत्य .....बहुत खूब

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  2. असंयमित वाणी और आचरण ही झगड़े की फसाद होते है,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  3. संयम न हो तो महाभारत होना लाज़मी है ... सटीक व्याख्या ।

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  4. बिलकुल सही कहा .....बात ही हाथी पाइए और बात ही हाथी पाँव

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  5. खुबसूरत बेहतरीन रचना

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  6. आजकल सययम है कहाँ सखी ...बच्चों की तो छोडो बड़ो में भी नहीं है ....सही लिखा बिलकुल ...

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  7. सही कहा आपने संयम बड़े काम की चीज है. सुंदर कविता.

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१०/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी

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