मैं छोटा सा ,नन्हा सा
और माँ कहती है
कि प्यारा सा ,
एक बच्चा हूँ....
प्यारा सा बच्चा
हूँ ......फिर भी
माँ स्कूल के
लिए जल्दी
जगा कर तैयार
करती .....
पता नहीं ये स्कूल
किसने बनाया होगा ...
मुझे तो कुछ भी
समझ आता
उससे पहले ही
टीचर जी लिखा
मिटा देती है ....
अब लिखा नहीं तो
कान भी मरोड़
देती है ....
अब लाल - लाल
कान लेकर घर
जाता हूँ तो ...
माँ आंसू भर के
गले लगा कर डांटती
है तो मुझे
अच्छा लगता है क्या ....
जब मैंने माँ को बताया ,
आज नालायक बच्चों
को एक तरफ बिठाया
उनमें से मैं भी एक था ...
पूछ बैठा कि माँ
यह नालायक क्या होता है ...
तो बस, माँ रो ही पड़ी ,
गले से लगा कर बोली
तुझे कहने वाले ही है रे
मेरे लाल ......
मैं अब भी नहीं समझा कि
टीचर जी ने ऐसा क्यूँ कहा..
और माँ कहती है
कि प्यारा सा ,
एक बच्चा हूँ....
प्यारा सा बच्चा
हूँ ......फिर भी
माँ स्कूल के
लिए जल्दी
जगा कर तैयार
करती .....
पता नहीं ये स्कूल
किसने बनाया होगा ...
मुझे तो कुछ भी
समझ आता
उससे पहले ही
टीचर जी लिखा
मिटा देती है ....
अब लिखा नहीं तो
कान भी मरोड़
देती है ....
अब लाल - लाल
कान लेकर घर
जाता हूँ तो ...
माँ आंसू भर के
गले लगा कर डांटती
है तो मुझे
अच्छा लगता है क्या ....
जब मैंने माँ को बताया ,
आज नालायक बच्चों
को एक तरफ बिठाया
उनमें से मैं भी एक था ...
पूछ बैठा कि माँ
यह नालायक क्या होता है ...
तो बस, माँ रो ही पड़ी ,
गले से लगा कर बोली
तुझे कहने वाले ही है रे
मेरे लाल ......
मैं अब भी नहीं समझा कि
टीचर जी ने ऐसा क्यूँ कहा..
बेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteबेहद खूब शूरत रचना,,,,,बधाई,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
बेहद सुन्दर........वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर आयें कभी।
ReplyDeleteअति सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना |
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में पधारें और जुड़ें |
मेरा काव्य-पिटारा
this is the grace of childhood
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